दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बाद भी क्यों नहीं होगी कृत्रिम बारिश, आईआईटी कानपुर ने बताई वजह
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि कृत्रिम बारिश वायु प्रदूषण रोकने का स्थायी समाधान भी नहीं बन सकती है। वायु प्रदूषण से घिरे बड़े क्षेत्र को इसके जरिये लाभ पहुंचाना मुश्किल है।

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि कृत्रिम बारिश बिना बादलों के संभव नहीं है। यह तकनीक तभी सफल होती है, जब आसमान पर बादल छाए हों, इसीलिए यह वायु प्रदूषण रोकने का स्थायी समाधान भी नहीं बन सकती है। दूसरा, कृत्रिम बारिश का एक सीमित क्षेत्र में कराई जा सकती है। वायु प्रदूषण से घिरे बड़े क्षेत्र को इसके जरिये लाभ पहुंचाना मुश्किल है। मीडिया से बात करते हुए प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने यह बातें कहीं।
दिल्ली सरकार ने किया था संपर्क : आईआईटी में चल रहे समन्वय 2024 कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रो. मणींद्र अग्रवाल मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने बताया कि सर्दी के साथ बढ़ रहे वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने आईआईटी से कृत्रिम बारिश कराने के लिए संपर्क किया था। उन्हें सूचित किया गया है कि इसके लिए बादलों का होना आवश्यक है। बादलों के बिना कृत्रिम बारिश नहीं हो सकती है। दिल्ली सरकार ने अभी तक कृत्रिम बारिश को लेकर कोई लिखा-पढ़ी शुरू नहीं की है। इसके लिए उद्योग और एकेडमिक्स में सामंजस्य जरूरी है।
खराब हवा से फिलहाल राहत की संभावना कम
राजधानी में शुक्रवार को भी प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। हवाओं की गति कम होने और तापमान में कमी होने के कारण प्रदूषण के स्तर में सुधार की उम्मीद कम है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डके आंकड़ों के अनुसार, शाम चार दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 331 दर्ज किया गया। बवाना और मुंडका केंद्रों पर एक्यूआई गंभीर श्रेणी में रह। वहीं, 22 इलाकों का सूचकांक खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। राजधानी में अगले कुछ दिनों तक प्रदूषण से राहत मिलने की संभावना कम है।
बता दें कि, शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है।