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Hindi Newsएनसीआर न्यूज़AIIMS Delhi has issued a protocol for the treatment of suspected monkeypox patients

मंकीपॉक्स बीमारी के इलाज के लिए एम्स दिल्ली ने जारी किया प्रोटोकॉल, जानिए रखना होगा किन बातों का ध्यान?

  • भारत में मंकीपॉक्स का एक भी मामला नहीं मिला है, पर भारत सरकार इस बीमारी को लेकर पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। इस बीमारी से निपटने की तैयारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा के लिए रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी।

Sourabh Jain एएनआईा, नई दिल्लीTue, 20 Aug 2024 02:16 PM
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से ‘मंकी पॉक्स’ (एमपॉक्स) बीमारी को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किए जाने के बाद भारत में भी इसे लेकर राज्य सरकारें और अस्पताल अलर्ट मोड पर आ गए हैं। हालांकि फिलहाल भारत में इस बीमारी का कोई भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन पाकिस्तान में इसका एक मरीज मिलने के बाद यहां भी कड़ी सावधानी बरती जा रही है। इसी सिलसिले में एम्स दिल्ली ने भी संदिग्ध मंकीपॉक्स के मरीजों के इलाज के लिए प्रोटोकॉल जारी किया है। वैसे तो दिल्ली में मंकीपॉक्स के इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल को सेंटर बनाया गया है। लेकिन एम्स में आने वाले संदिग्ध मरीजों का इलाज कैसे किया जाएगा इस प्रोटोकॉल में यही बताया गया है।

मंकीपॉक्स के मामलों को अलग करने के लिए एम्स के AB-7 वार्ड में पांच बिस्तर निर्धारित किए गए हैं। ये बिस्तर आपातकालीन विंग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सिफारिश पर रोगियों को आवंटित किए जाएंगे, जिनका इलाज फिर मेडिसिन विभाग द्वारा किया जाएगा। AB-7 वार्ड तब तक रोगियों के लिए एक अस्थायी होल्डिंग क्षेत्र बना रहेगा, जब तक कि उन्हें निश्चित देखभाल के लिए निर्धारित अस्पताल- सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित नहीं कर दिया जाता।

एम्स की तरफ से जारी प्रोटोकॉल नोट के मुताबिक 'मंकी पॉक्स' एक वायरल जूनोसिस है जिसके लक्षण चेचक के रोगियों में पहले देखे गए लक्षणों के समान हैं, हालांकि चिकित्सकीय रूप से यह कम गंभीर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकी पॉक्स के प्रकोप को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय बताते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है, जिसके चलते इससे बचाव के लिए जागरूकता बढ़ाने, तेजी से पहचान करने और आगे के प्रसार को रोकने के लिए कड़े संक्रमण नियंत्रण उपायों की आवश्यकता है। एम्स की तरफ से जारी SOP में एम्स के आपातकालीन विभाग में मंकी पॉक्स के मामलों को संभालने के लिए आवश्यक कदमों को बताया गया है। आइए जानते हैं क्या है इस प्रोटोकॉल में?

1- ट्राइएज एरिया में जांच- संदिग्ध मंकी पॉक्स वाले रोगियों को संभालने के लिए ट्राइएज क्षेत्र में स्क्रीनिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसे मरीज जिसे बुखार है, दाने हैं या जो पहले मंकी पॉक्स के मरीज के संपर्क में आ चुका है, के अस्पताल में आने पर तुरंत उन्हें देखने की व्यवस्था होनी चाहिए।

मंकी पॉक्स के मुख्य लक्षण- बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, ठंड लगना, थकावट और विशिष्ट त्वचा के घाव (मैकुलोपापुलर दाने जो फुंसियों में बदल सकते हैं) बताए गए हैं।

2- आइसोलेशन/होल्डिंग एरिया: अन्य रोगियों और कर्मचारियों के साथ संपर्क कम से कम करने के लिए संदिग्ध रोगियों को तुरंत आइसोलेशन एरिया (एक अलग क्षेत्र) में रखें। एम्स ने AB-7 के बेड नंबर 33, 34, 35, 36 और 37 को मंकी पॉक्स रोगियों को अलग रखने के लिए निर्धारित किया है। ये बेड आपातकालीन CMO की संस्तुति पर मंकी पॉक्स रोगियों को आवंटित किए जाएंगे और उनका उपचार मेडिसिन विभाग द्वारा किया जाएगा। AB-7 रोगी को रखने के लिए तब तक एक अस्थायी क्षेत्र बना रहेगा जब तक कि उसे सम्पूर्ण देखभाल के लिए निर्धारित अस्पताल (सफदरजंग अस्पताल) में स्थानांतरित नहीं कर दिया जाता।

3- IDSP को सूचना देना: जब भी कोई संदिग्ध मामला पहचाना जाता है, तो संपर्क नंबर 8745011784 पर इंटीग्रेटेड डिसीस सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) के अधिकारियों को सूचित करें। उन्हें रोगी का विवरण, संक्षिप्त इतिहास, क्लिनिकल फाइंडिंग्स और संपर्क विवरण प्रदान करें।

4- सफदरजंग अस्पताल में रेफर करना: मंकी पॉक्स रोगियों को रखने और उनके इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल को नामित किया गया है। इसलिए किसी भी रोगी को मंकी पॉक्स होने का संदेह होने पर आगे के मूल्यांकन और उपचार के लिए सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया जाना चाहिए।

5- एम्बुलेंस: मंकी पॉक्स मरीजों को सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए एक एम्बुलेंस आवंटित की गई है। संदिग्ध मंकीपॉक्स मरीज को सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए आपातकालीन कर्मचारियों को मोबाइल नंबर 8929683898 पर एम्बुलेंस समन्वयक को सूचित करना होगा।

6- रोगी को संभालना और अलग रखना: सभी रोगियों को सख्त संक्रमण नियंत्रण उपायों के साथ संभाला जाना चाहिए। संदिग्ध मामलों से निपटने के दौरान कर्मचारियों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE किट) का उपयोग करना चाहिए।

7- दस्तावेजीकरण और कम्युनिकेशन: मरीज की पूरी जानकारी, लक्षण और रेफरल प्रक्रिया का उचित दस्तावेजीकरण रखा जाना चाहिए।

प्रोटोकॉल के अंत में कहा गया है कि संदिग्ध मंकीपॉक्स मामलों में समन्वित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए इस प्रोटोकॉल को सभी संबंधित विभागों और कर्मचारियों तक प्रसारित किया जाना चाहिए।

पीएम मोदी कर चुके हैं बैठक

बता दें कि मध्य और पूर्वी अफ्रीका में संक्रामक एमपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित कर दिया है। हालांकि भारत में मंकीपॉक्स का एक भी मामला ना मिला हो, पर भारत सरकार इस बीमारी को लेकर पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। भारत में इससे निपटने की तैयारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा के लिए रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। जिसमें पीएम मोदी के प्रधान सलाहकार पीके मिश्रा ने कहा कि देश में एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है और वर्तमान मूल्यांकन के अनुसार इसका व्यापक स्तर पर फैलने का जोखिम कम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एमपॉक्स की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

WHO ने इससे पहले जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कॉन्सर्न (PHEIC) घोषित किया था और बाद में मई 2023 में इसे रद्द कर दिया था। WHO ने 2022 से अब तक विश्व स्तर पर 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतों की सूचना दी है। WHO द्वारा 2022 की घोषणा के बाद से, भारत में कुल 30 मामले पाए गए हैं, जिनमें से आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था।

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