Hindi NewsIndia NewsYasin Malik met with RSS leaders and Shankaracharyas affidavit filed in HC makes several claims
RSS नेताओं और शंकराचार्यों से हुई थी यासीन मलिक की मुलाकात; HC में दिए हलफनामे में कई दावे

RSS नेताओं और शंकराचार्यों से हुई थी यासीन मलिक की मुलाकात; HC में दिए हलफनामे में कई दावे

संक्षेप: गौरतलब है कि 11 अगस्त को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग मामले में मृत्युदंड देने की मांग की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मलिक को चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का समय दिया है।

Sat, 20 Sep 2025 08:49 AMHimanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।
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दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख और दोषी आतंकवादी यासीन मलिक ने हाल ही में अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। इसमें उसने अपने कथित राजनीतिक, धार्मिक और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़ाव का विवरण दिया है। मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में 25 अगस्त को दाखिल हलफनामे में कहा है कि देश के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, विदेशी राजनयिकों और खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने वर्षों तक उनके साथ बातचीत की थी। उसने यहां तक कहा कि दो अलग-अलग मठों के शंकराचार्य कई बार उसके श्रीनगर स्थित घर आए और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ सार्वजनिक रूप से भी वह दिखाई दिया।

मलिक का दावा है कि साल 2011 में उसने दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं के साथ करीब पांच घंटे लंबी बैठक की थी। यह बैठक सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकॉन्सिलिएशन नामक थिंक टैंक की मदद से हुई थी। उसका कहना है, ''यह सोचने वाली बात है कि इतने गंभीर आरोपों वाले व्यक्ति से दूरी बनाने के बजाय, समाज के प्रभावशाली लोग उससे खुलकर संवाद करते रहे।”

वाजपेयी सरकार के ‘रामजान युद्धविराम’ में भूमिका

हलफनामे में मलिक ने यह भी दावा किया है कि वर्ष 2000-01 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा घोषित ‘रामजान सीजफायर’ में उसकी अहम भूमिका रही। उसने कहा कि दिल्ली में उसकी मुलाकात अजीत डोभाल से हुई, जिसने उसे उस समय के खुफिया ब्यूरो प्रमुख श्यामल दत्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा से मिलवाया। मलिक का कहना है कि वाजपेयी के करीबी आर.के. मिश्रा ने उसे अपने घर बुलाया और ब्रजेश मिश्रा के साथ नाश्ते पर मुलाकात करवाई। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद JKLF नेताओं और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल प्रमुख सैयद सलाउद्दीन से संपर्क साधा। मलिक का दावा है कि इसी प्रयास से हुर्रियत नेताओं (अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और अब्दुल गनी लोन) ने युद्धविराम के पक्ष में संयुक्त बयान दिया।

यासीन मलिक ने यह भी कहा कि वाजपेयी और तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी उसके प्रयासों के पक्ष में थे और इसी दौरान उस पहली बार पासपोर्ट मिला। 2001 में जारी हुए इस पासपोर्ट के जरिए वह अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और पाकिस्तान गया और वहां कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के नाम पर अहिंसक लोकतांत्रिक संघर्ष की वकालत की।

मनमोहन सिंह से मुलाकात का दावा

मलिक ने आगे दावा किया कि फरवरी 2006 में उसे तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने औपचारिक वार्ता के लिए बुलाया। उसके मुताबिक, उस बैठक में मनमोहन सिंह ने कहा था कि भारत कश्मीर मुद्दे के समाधान की गंभीर कोशिश कर रहा है और उन्होंने आश्वासन दिया था कि मैं इस मुद्दे को हल करना चाहता हूं।

एनआईए ने मांगी फांसी की सजा

गौरतलब है कि 11 अगस्त को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग मामले में मृत्युदंड देने की मांग की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मलिक को चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी। सरकार का आरोप है कि मलिक अलगाववाद और आतंकवादी गतिविधियों के जरिए भारत की संप्रभुता को चुनौती देता रहा है और पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से उसके गहरे संबंध रहे हैं।

Himanshu Jha

लेखक के बारे में

Himanshu Jha
कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट हिमांशु शेखर झा करीब 9 वर्षों से बतौर डिजिटल मीडिया पत्रकार अपनी सेवा दे रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा राष्ट्रीय राजनीति पर अच्छी पकड़ है। दिसंबर 2019 में लाइव हिन्दुस्तान के साथ जुड़े। इससे पहले दैनिक भास्कर, न्यूज-18 और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में भी काम कर चुके हैं। हिमांशु बिहार के दरभंगा जिला के निवासी हैं। और पढ़ें
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