
तिहाड़ जेल से हटाई जाएंगी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें? HC ने सुनाया फैसला
संक्षेप: अफजल गुरु को 2001 के संसद हमले में दोषी ठहराया गया था और 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। मकबूल भट्ट को भी वहीं फांसी दी गई थी। दोनों को जेल परिसर में ही दफनाया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने संसद हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट्ट की तिहाड़ जेल परिसर से कब्रें हटाने की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील मामला है और इस पर फैसला सरकार ने फांसी के समय सोच-समझकर लिया था। ऐसे मामलों को एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद दोबारा नहीं खोला जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह का निर्णय केवल सक्षम प्राधिकारी ही ले सकता है और जब तक कोई कानून जेल परिसर में दफन या अंतिम संस्कार को रोकता नहीं है, तब तक अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। अदालत ने कहा, “वहां 12 वर्षों से कब्र है। यह सरकार का निर्णय था। यह फैसला उस समय संभावित परिणामों को ध्यान में रखकर लिया गया था। अब इसे बदलने का सवाल नहीं उठता है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल सक्षम प्राधिकारी ही ऐसे मामलों में फैसला ले सकता है और परिसर के अंदर दफनाने या दाह संस्कार पर रोक लगाने वाले कानून के अभाव में न्यायिक हस्तक्षेप अनुचित है। कोर्ट ने कहा, "क्या सरकार ने यह फ़ैसला परिवार को शव देने या तिहाड़ जेल के बाहर दफनाने की अनुमति देने के नतीजों को ध्यान में रखते हुए लिया? ये बहुत संवेदनशील मुद्दे हैं। इसके कई कारक हैं। सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया। क्या अब हम 12 साल बाद उस फैसले को चुनौती दे सकते हैं?"
अफजल गुरु को 2001 के संसद हमले में दोषी ठहराया गया था और 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। मकबूल भट्ट को भी वहीं फांसी दी गई थी। दोनों को जेल परिसर में ही दफनाया गया था।





