संस्कृत के बिना नहीं मिलेगा स्वर्ग का वीजा, सुगुनेंद्र स्वामी के बयान पर बवाल; क्यों भड़के लोग
- श्रीकृष्ण मठ के सुगुनेंद्र स्वामी ने कहा कि स्वर्ग जाने के लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी है। उन्होंने कहा कि जो लोग संस्कृत नहीं जानते उन्हें स्वर्ग का वीजा नहीं मिल सकता।
उडुपी श्रीकृष्ण मठ के सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामी जी के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि जिन को भी स्वर्ग जाना है उन्हें संस्कृत भाषा जरूर सीखनी चाहिए। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। इसके बाद बहुत सारे लोगों ने उनकी इस बात का विरोध करना शुरू कर दिया। सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामी ने कहा था, स्वर्ग जाने का मतलब है संस्कृत भाषा का ज्ञान। अगर आप संस्कृत नहीं जानते तो आपको स्वर्ग का वीजा नहीं मिलने वाला है।
श्री पुट्टीगे मठ के श्री सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने कहा कि जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं उन्हें संस्कृत भाषा सीखनी चाहिए। सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्री कृष्ण मठ में आयोजित एक महीने तक चलने वाले श्री कृष्ण मासोत्सव कार्यक्रम के समापन समारोह में यह बयान दिया। यह कार्यक्रम श्री कृष्ण मठ के शाही हॉल में आयोजित किया गया था। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इस कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे।
सुगुणेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने क्या कहा?
श्री कृष्ण लीलोत्सव कार्यक्रम के समापन पर संस्कृत में बोलते हुए श्री सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं का मूल है। अंग्रेजी भाषा और उससे जुड़ी भाषाओं का मूल संस्कृत है। कन्नड़ कर्नाटक की भाषा है, हिंदी भारत की भाषा है। अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है। ये सभी संचार के लिए आवश्यक हैं। इसी प्रकार संस्कृत एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। दैवी जगत् में व्यवहार करने के लिए संस्कृत भाषा की आवश्यकता है। इस प्रकार, उन्होंने कहा कि जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं उन्हें वहां के व्यवहार के लिए संस्कृत भाषा सीखनी चाहिए।
श्री कृष्ण मठ के वैकल्पिक प्रमुख श्री सुगुनेंद्र तीर्थ स्वामीजी ने कहा कि संस्कृत भाषा स्वर्ग का वीजा है। इस बारे में लोकेश पुजारी ने कहा, 'जो लोग संस्कृत जानते हैं उन्हें अब भी इस नरक में नहीं रहना चाहिए। उन्हें स्वर्ग चले जाना चाहिए।
वनम शिवरामू ने कहा, "मैं 67 साल का हूं और अभी भी संस्कृत नहीं सीख सकता। इसलिए मुझे स्वर्ग नहीं मिलेगा। मैं यह नहीं चाहता। एक अन्य यूजर ने कहा, बचपन में मैंने भैंस चराई, उस पर सवार हुआ, उसकी पूंछ पकड़कर तैरना सीखा, क्या मुझे नर्क में यम का कोना मिलेगा!?"
एक यूजर सतीश कुमार के ने गंभीरता से कहा,'यह बहुत ही अपमानजनक बयान है...स्वर्ग और भाषा के बीच क्या संबंध है? इसके अलावा, स्वर्ग और नरक का अस्तित्व किसने देखा है?” वड्डगेरे नागराजैया ने इस पर कहा, "मैं स्वर्ग जाने के योग्य हो गया हूं क्योंकि मैंने सिद्धगंगा मठ, तुमकुर की संस्कृत कक्षाओं में संस्कृत सीखी है !!" लेकिन मेरे माता पिता और परिवार के लोगों ने संस्कृत नहीं सीखी, इसलिए मैं उनके बिना स्वर्ग नहीं जाना चाहता।"
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