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जब दिल्ली में संभव तो यहां क्यों नहीं? आंध्र प्रदेश में क्यों हो रही केजरीवाल और AAP की चर्चा

स्पीकर ने यह भी कहा कि रेड्डी ने तो इसके लिए हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है लेकिन हाई कोर्ट ने आज तक उनकी रिट याचिका को स्वीकार ही नहीं किया है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, हैदराबादWed, 5 March 2025 05:26 PM
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जब दिल्ली में संभव तो यहां क्यों नहीं? आंध्र प्रदेश में क्यों हो रही केजरीवाल और AAP की चर्चा

आंध्र प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष अय्यन्ना पात्रुडू ने पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी को विरोधी दल का नेता यानी नेता विपक्ष का दर्जा देने से इनकार कर दिया है। स्पीकर के इस इनकार के बाद राज्य में बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने जगन मोहन रेड्डी की इस मांग को 'अनुचित इच्छा' करार दिया है और कहा है कि नेता विपक्ष पद के लिए किसी भी पार्टी के पास विधानसभा में कम से एक 1/10वां हिस्सा होना चाहिए। राज्य विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 175 है। इस लिहाज से नेता प्रतिपक्ष के लिए कम से कम 18 विधायक होने चाहिए, लेकिन वाईएसआर कांग्रेस के पास सिर्फ 11 विधायक हैं।

पिछले साल लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हुए विधानसभा चुनावों में जगन मोहन रेड्डी को न सिर्फ मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा था बल्कि उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में 152 सीटें जीतने वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 11 सीटें मिली थीं, जबकि चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने 22 सीटों से 135 सीटों तक की छलांग लगाई थी। टीडीपी से सहयोगी भाजपा को भी आठ सीटें मिली थीं।

AAP की चर्चा क्यों?

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विधानसभा में नेता विपक्ष का पद देने से इनकार किए जाने के स्पीकर के तर्कों को जगन मोहन रेड्डी ने खारिज कर दिया है और सवाल किया है कि जब विपक्ष की एकमात्र पार्टी को सदन में पर्याप्त समय नहीं दिया जाएगा तो विधानसभा में लोगों की आवाज कैसे उठाई जाएगी। उन्होंने दिल्ली और आम आदमी पार्टी की सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि 2015 के दिल्ली विधान सभा चुनावों में जब भाजपा को 70 में से सिर्फ तीन सीटें मिली थीं, तब अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप ने भाजपा को विपक्षी पार्टी का दर्जा दिया था।

स्पीकर ने फैसले में क्या कहा?

पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी के अनुरोध को खारिज करते हुए विधान सभा अध्यक्ष ने अपने फैसले में कहा, "विपक्ष के नेता के पद के लिए पात्रता पूरी तरह से संवैधानिक प्रावधानों, कानूनी आदेशों और स्थापित मिसालों के अनुसार निर्धारित की जाती है।" अपने फैसले को पुष्ट करने के लिए विभिन्न नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “तदनुसार, आंध्र प्रदेश की 175 सदस्यीय विधानसभा में, जब तक विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी न्यूनतम 18 सदस्यों की ताकत हासिल नहीं कर लेती, तब तक ऐसे दल के नेता को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता देने पर विचार करना पूरी तरह से विवेक पर आधारित नहीं होगा।”

स्पीकर ने कहा रेड्डी का आचरण निंदनीय

स्पीकर ने यह भी कहा कि रेड्डी ने तो इसके लिए हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है लेकिन हाई कोर्ट ने आज तक उनकी रिट याचिका को स्वीकार ही नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह जगन मोहन रेड्डी द्वारा बार-बार चलाए जा रहे दुर्भावनापूर्ण और कटु अभियान से आश्चर्यचकित नहीं हैं। स्पीकर ने ये भी कहा कि रेड्डी द्वारा अध्यक्ष पर आरोप लगाना विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना ​​के समान है। उन्होंने कहा कि सदन इस तरह के निंदनीय आचरण को अब और अधिक बर्दाश्त करेगा।

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स्पीकर के फैसले पर पलटवार करते हुए जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस आंध्र विधानसभा में विपक्ष में बैठने वाली एकमात्र पार्टी है। उन्होंने कहा कि चूंकि भाजपा, जन सेना और टीडीपी एक साथ हैं और वे सत्ता में हैं तो अब कोई पार्टी नहीं बच जाती है। रेड्डी ने कहा कि सदन में चाहे संख्या कोई भी हो, बड़ी बात यह है कि हमारे पास 40 फीसदी वोट शेयर है। हम विपक्ष में एकमात्र पार्टी हैं, अगर हमें मान्यता नहीं दी जाती है, तो फिर इस परिस्थिति में विपक्षी दल कौन होगा? एक बार जब पार्टी को विपक्षी दल के रूप में मान्यता मिल जाती है, तो उसका नेता विपक्ष का नेता होता है। इसका फायदा यह है कि स्पीकर को सदन के नेता के बराबर माइक और समय देना चाहिए।

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