याचिका क्यों बदलना चाहती हैं सोनम वांगचुक की पत्नी गीतंजालि अंगमो, SC ने क्या कहा?
संक्षेप: सुनवाई के दौरान सिब्बल ने यह भी शिकायत की कि वांगचुक को अपनी पत्नी के साथ कुछ नोट्स साझा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने अदालत से इसे लेकर निर्देश देने का आग्रह किया।

लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीताांजलि अंगमो ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका में संशोधन की अनुमति मांगी है, ताकि वे अब केंद्र सरकार द्वारा दिए गए हिरासत के आधारों को चुनौती दे सकें। अंगमो की याचिका में पहले यह दलील दी गई थी कि वांगचुक की हिरासत बिना किसी आधार के की गई थी और उन्हें या उनके वकीलों को कोई कारण बताया नहीं गया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि डिटेंशन के आधार वांगचुक को उपलब्ध करा दिए गए हैं और यह जानकारी लेह के जिलाधिकारी के माध्यम से भी सौंपी गई है।
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान अंगमो के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया कि याचिका को संशोधित करने की अनुमति दी जाए ताकि अब सरकार द्वारा दिए गए दस्तावेजों को चुनौती दी जा सके। कपिल सिब्बल ने कहा, “मैं याचिका में संशोधन कर दूंगा ताकि यह मामला यहां जारी रह सके।” न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजनिया की पीठ ने इस पर सहमति जताई और मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को तय की।
सुनवाई के दौरान सिब्बल ने यह भी शिकायत की कि वांगचुक को अपनी पत्नी के साथ कुछ नोट्स साझा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने अदालत से इसे लेकर निर्देश देने का आग्रह किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
मेहता ने कहा, “उन्होंने अपने वकील से दो बार परामर्श किया है। अगर अब वे अपनी पत्नी से नोट्स साझा करना चाहते हैं तो हमें कोई समस्या नहीं है।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस सुविधा का उपयोग नई कानूनी दलीलें जोड़ने के बहाने के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “कभी-कभी दो दिन की देरी को भी चुनौती का आधार बना दिया जाता है। मेरी चिंता बस यही है कि इसे नए आधार के रूप में इस्तेमाल न किया जाए।”
मेहता ने अदालत को यह भी बताया कि वांगचुक की सेहत ठीक है और उन्हें किसी मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं है। इस पर सिब्बल ने आपत्ति जताते हुए कहा, “मैंने तो सिर्फ सीमित राहत मांगी है। हमें इस पर जाने की जरूरत नहीं है।”
अंत में अदालत ने सुनवाई को 29 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया और कहा, “हम भी उनकी वांगचुक की अच्छी सेहत की कामना करते हैं।”
वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वे जोधपुर जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी लद्दाख में राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के बाद की गई थी। गीताांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि वांगचुक की हिरासत राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की धारा 3(2) के तहत गैरकानूनी है और इसका उद्देश्य उन्हें लोकतांत्रिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर आवाज उठाने से रोकना है।
उन्होंने दलील दी कि वांगचुक ने केवल गांधीवादी और शांतिपूर्ण विरोध किया था, जो संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मिले अभिव्यक्ति और एकत्रीकरण के अधिकार के अंतर्गत आता है। याचिका में कहा गया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है।
अंगमो ने यह भी चुनौती दी है कि वांगचुक को लद्दाख से 1,000 किलोमीटर दूर जोधपुर जेल भेजा गया, जबकि उन्हें लद्दाख में ही रखा जाना चाहिए था। उन्होंने अदालत से अपने पति की तुरंत रिहाई, संपर्क की अनुमति (टेलीफोनिक और व्यक्तिगत) और जेल में दवाइयां, कपड़े, खाना और आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश मांगे हैं।





