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जदयू नहीं, भाजपा से होगा अगला उपराष्ट्रपति; रामनाथ ठाकुर के नाम की अटकलें निराधार

चुनाव आयोग ने धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने के दो दिन बाद बुधवार को कहा कि उसने उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग संसद के दोनों सदनों के सांसदों के निर्वाचक मंडल का गठन शुरू कर दिया है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 24 July 2025 10:06 AM
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जदयू नहीं, भाजपा से होगा अगला उपराष्ट्रपति; रामनाथ ठाकुर के नाम की अटकलें निराधार

मॉनसून सत्र के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस बीच निर्वाचन आयोग (ईसी) ने अगले उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। आयोग ने कहा कि उसने संसद के दोनों सदनों के सांसदों के निर्वाचक मंडल का गठन शुरू कर दिया है। अब अगले उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इनमें जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता और केंद्रीय मंत्री राम नाथ ठाकुर का नाम भी सामने आया है।

'अगला उपराष्ट्रपति भाजपा से होगा'

हालांकि इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अगला उपराष्ट्रपति भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से ही होगा और नीतीश की जेडीयू के नेता राम नाथ ठाकुर की दावेदारी की अटकलें निराधार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा नेतृत्व इस पद के लिए ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहता है जो पार्टी की मूल विचारधारा के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ हो। राम नाथ ठाकुर के नाम की चर्चा को पूरी तरह खारिज करते हुए बताया गया कि हाल ही में भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से हुई उनकी मुलाकात महज एक औपचारिक बातचीत थी। उस दौरान कई अन्य सांसदों ने भी नड्डा से भेंट की थी। जेडीयू और भाजपा के बीच इस पद को लेकर कोई विशेष संवाद नहीं हुआ है।

हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह चर्चा जरूर गर्म है कि भाजपा इस पद पर किसी बिहारी नेता को लाकर बड़ा सियासी संदेश देना चाहती है। इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी सामने आ रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि धनखड़ के इस्तीफे से रास्ता साफ हो सकता है जिससे नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाए और चुनाव से पहले उन्हें केंद्र की राजनीति में सम्मानजनक स्थान देकर बिहार में राजनीतिक समीकरणों को साधा जा सके।

नीतीश कुमार की उम्मीदवारी पर क्या बोले भाजपा विधायक?

भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने मंगलवार को इस चर्चा को और हवा दी। उन्होंने कहा, “अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है तो यह बिहार के लिए बहुत अच्छा होगा।” भाजपा के लिए बिहार विधानसभा चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी ने राज्य में कभी अपने दम पर सरकार नहीं बनाई है। ऐसे में अगर नीतीश को केंद्र में लाया जाता है तो राज्य की राजनीति में भाजपा को खुला स्पेस मिल सकता है और एनडीए की एकता का संदेश भी जाएगा।

इस बीच, धनखड़ के इस्तीफे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही जेडीयू के ही हरिवंश नारायण सिंह संभाल रहे हैं, जो 2020 से राज्यसभा के उपसभापति हैं। हरिवंश की भूमिका और बिहार से उनके जुड़ाव को एनडीए के लिए चुनाव से पहले सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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अंदरूनी कलह के चलते आया इस्तीफा?

सूत्रों के मुताबिक, जगदीप धनखड़ का इस्तीफा अचानक नहीं बल्कि केंद्र सरकार के साथ लंबे समय से चल रही तनातनी का परिणाम था। असहमति की प्रमुख वजह न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को लेकर हुई खींचतान बताई जा रही है। इस साल की शुरुआत में न्यायमूर्ति वर्मा के घर से भारी मात्रा में बेहिसाब नकदी बरामद हुई थी, जिसके बाद विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया।

धनखड़ इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की ओर अग्रसर थे, जबकि सरकार की ओर से बार-बार उनसे अनुरोध किया गया कि वह इसे टालें। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने धनखड़ से कहा कि सरकार इस प्रस्ताव को विपक्ष के साथ मिलकर लोकसभा में लाना चाहती है।

इसके बावजूद धनखड़ ने राज्यसभा में इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की घोषणा कर दी, जिससे सरकार बेहद नाराज हो गई। सूत्रों के अनुसार, इस फैसले को एनडीए के भीतर सामंजस्य की गंभीर अनदेखी माना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर गृहमंत्री और शीर्ष सलाहकारों के साथ बैठक की और धनखड़ के व्यवहार पर नाराजगी जताई।

बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से सरकार असहज

यह भी बताया गया है कि यह मामला अकेला नहीं था। बीते कुछ महीनों में धनखड़ द्वारा कई ऐसे कदम उठाए गए जो सरकार को असहज करते रहे। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस की भारत यात्रा के दौरान धनखड़ ने दावा किया कि चूंकि वह भारत के उपराष्ट्रपति हैं और वेंस उनके समकक्ष, इसलिए उन्हें मुख्य बैठक की मेजबानी करनी चाहिए। सरकार को सफाई देनी पड़ी कि वेंस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति का संदेश देने आए हैं, न कि उपराष्ट्रपति स्तर की वार्ता के लिए।

सूत्रों ने यह भी बताया कि धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई असामान्य मांगें रखीं- जैसे सभी केंद्रीय मंत्रियों के दफ्तरों में उनकी तस्वीर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ लगाई जाए और उन्हें मर्सिडीज-बेंज कारों का बेड़ा मुहैया कराया जाए। सोमवार को उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता से मुलाकात की और उसके कुछ ही घंटों बाद अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे, करीब 25 मिनट तक इंतजार किया और फिर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया। सूत्रों का कहना है कि धनखड़ को उम्मीद थी कि सरकार उनसे संपर्क करेगी या उनके इस्तीफे को कुछ समय के लिए टाल देगी, लेकिन सरकार पहले ही निर्णय ले चुकी थी कि अब उन्हें हटना होगा। इसलिए बिना किसी देरी के उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।

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अमित कुमार एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में आठ वर्षों से अधिक का अनुभव है। वर्तमान में वह लाइव हिन्दुस्तान में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर के रूप में कार्यरत हैं। हिन्दुस्तान डिजिटल के साथ जुड़ने से पहले अमित ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया है। अमित ने अपने करियर की शुरुआत अमर उजाला (डिजिटल) से की। इसके अलावा उन्होंने वन इंडिया, इंडिया टीवी और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में काम किया है, जहां उन्होंने न्यूज रिपोर्टिंग व कंटेंट क्रिएशन में अपनी स्किल्स को निखारा। अमित ने भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से हिंदी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा और गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी, हिसार से मास कम्युनिकेशन में मास्टर (MA) किया है। अपने पूरे करियर के दौरान, अमित ने डिजिटल मीडिया में विभिन्न बीट्स पर काम किया है। अमित की एक्सपर्टीज पॉलिटिक्स, इंटरनेशनल, स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, इंटरनेट रिपोर्टिंग और मल्टीमीडिया स्टोरीटेलिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है। अमित नई मीडिया तकनीकों और पत्रकारिता पर उनके प्रभाव को लेकर काफी जुनूनी हैं। और पढ़ें
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