कौन थे पूर्व सेना प्रमुख जनरल पैड्डी? नाम सुनकर कांप जाते थे कश्मीर के जिहादी
- पूर्व सेना प्रमुख जनरल पद्मनाभन का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है। कश्मीर में वह 15 कोर के कमांडर थे। उस दौरान 1990 में कश्मीर में जिहादी उनके नाम से भी कांप जाते थे।
कोरोना काल में जब उस समय के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS)जनरल बिपिन रावत को पता चला कि पूर्व आर्मी चीफ जनरल एस पद्मनाभन की तबीयत बिगड़ गई है और वह चेन्नई के दो कमरे के घर में रह रहे हैं तो उन्होंने तुरंत आरआर अस्पताल में शिफ्ट करने की बात कही। उस कठिन समय में भी जनरल पद्मनाभन ने दिल्ली आने से इनकार कर दिया और कहा कि अस्पताल के बेड सेना के दूसरे लोगों को दे दिए जाएं। पूर्व सेना प्रमुख सुंदरराजन पद्मनाभन का चेन्नई में सोमवार को 83 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह 1993 से 1995 तक कश्मीर घाटी में 15 कोर के कमांडर थे।
जनरल पद्मनाभन को पैडी के नाम से जाना जाता था और वह 30 सितंबर 2000 के 31 दिसंबर 2002 तक सेना अध्यक्ष थे। उनके कार्यकाल के दौरान कश्मीर घाटी में जिहादी सहमे हुए थे। 1996 में तत्कलानी रक्षा मंत्री मुलायम सिंह सियाचिन ग्लेसियर का दौरा करने पहुंचे थे। वह ग्लिसेयर का कुमार पोस्ट के ऊपर से एरियल सर्वे कर रहे थे। तभी पाकिस्तानियों को पता चल गया कि भारत के रक्षा मंत्री विमान में मौजूद हैं। पाकिस्तानी सेना ने ग्लेशियर में भारती पोस्ट पर गोलीबारी शुरू कर दी। पाकिस्तानी सैनिक साल्टोरो रिज के उस तरफ मौजूद थे। ऐसे में यादव का विमान बेस कैंप के हेलिपैड पर उतरा और जनरल पद्मनाभन ने जवाबी कार्रवाई का आदेश दे दिया। जनरल पैड्डी ने तुरंत सियाचिन ब्रिगेड कमांडर को फोन किया और जवाबी हमले का आदेश दे दिया। भारत की तरफ से जवाबी हमले से पाकिस्तानी सैनिकों को छक्के छूट गए।
1990 के दशक में कश्मीर घाटी में जिहादियों का आतंक था। उस समय मीडिया में भी अलगाववादियों के पक्ष में चर्चा कम नहीं होती थी। जिहादियों का भी पक्ष खूब रखा जाता था। ऐसे में कश्मीर में आतंकवाद के बारे में बात करने भी मुश्किल हो गया था। उस समय जनरल पैड्डी ने जिहादियों की हालत खराब करदी। वहीं पाकिस्तान से होने वाली घुसपैठ पर भी शिकंजा कस दिया। वह जवाबी हमले का आदेश देने से कभी कतराते नहीं थे।
सेना प्रमुख के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान कश्मीर में कई आतंकी घटनाएं हुईं। उस समय पाकिस्तान में तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार थी और सीमा पार से खूब घुसपैठ होती थी। परवेज मुशर्रफ का आतंकियों पर हाथ था और पाकिस्तानी सेना उनके लिए काम करती थी। उनके कार्यकाल में ही 2001 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा में हमला हुआ। कालूचक हत्याकांड और संसद पर हमला भी हुआ। वहीं सेना ने ऑपरेशन पराक्रम भी चलाया। जनरल पैड्डी युद्ध से भी पीछे नहीं हटते लेकिन तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने कूटनीति के जरिए समस्या का हल निकालने का रास्ता चुना।
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