
कौन हैं IPS योगेश गुप्ता, जिनके केस में केरल सरकार को लगा झटका; 4 साल में 8 बार हो चुका है ट्रांसफर
संक्षेप: हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. के एम अब्राहम के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया। उस दौरान VACB ने केस से जुड़े फाइलें साझा की थीं।
केरल कैडर के 1993 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी योगेश गुप्ता का तबादला अक्सर सुर्खियों में रहता है। हाल ही में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की कोच्चि पीठ ने केरल सरकार को बड़ा झटका देते हुए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे आईपीएस अधिकारी योगेश गुप्ता की विजिलेंस रिपोर्ट पांच दिनों के भीतर केंद्र सरकार को भेजें।

1993 बैच के केरल कैडर के अधिकारी गुप्ता पिछले कुछ वर्षों से राज्य सरकार के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि उनका नाम केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिज़र्व (CDR) पदों के लिए विचाराधीन हो सके। सीएटी ने कहा कि गृह मंत्रालय के बार-बार लिखे गए पत्रों का राज्य सरकार द्वारा जवाब न देना किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है।
4 साल में 8 बार ट्रांसफर
योगेश गुप्ता को पिछले चार सालों में आठ बार ट्रांसफर किया गया है। हाल ही में उन्हें फायर एंड रेस्क्यू सर्विस से हटाकर रोड सेफ्टी कमिश्नर बना दिया गया। वे पूर्व में सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (VACB) के निदेशक रहे, जहां उनकी कई कार्रवाइयां सरकार को असुविधाजनक लगीं।
केंद्र ने मांगी थी रिपोर्ट, राज्य ने रोका
अप्रैल 2024 में केंद्र सरकार ने योगेश गुप्ता को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसे शीर्ष पदों पर विचार करने के लिए उनका प्रोफाइल और विजिलेंस रिपोर्ट मांगी थी। राज्य पुलिस प्रमुख ने मई में रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंप दी थी, लेकिन इसे गृह मंत्रालय को नहीं भेजा गया। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने हाल ही में पुलिस प्रमुख के पद के लिए यूपीएससी को योगेश गुप्ता का विजिलेंस क्लियरेंस भेजा था।
केरल सरकार पर सवाल
राज्य सरकार ने सीएटी से कहा कि योगेश गुप्ता पर एक विजिलेंस जांच लंबित है। लेकिन न्यायाधिकरण ने कहा कि जांच लंबित होना रिपोर्ट न भेजने का कारण नहीं हो सकता है। आदेश में कहा गया, “रिकॉर्ड में ऐसा कोई तथ्य या वैध आधार नहीं है जिससे रिपोर्ट न भेजने को सही ठहराया जा सके।”
नेताओं की भी खोल दी थी फाइल
योगेश गुप्ता पर आरोप है कि VACB प्रमुख रहते हुए उन्होंने कुछ शिकायतों पर जांच शुरू की और कुछ मामलों में सरकार से मंजूरी लिए बिना अफसरों पर कार्रवाई का आदेश दिया। योगेश गुप्ता ने सीएटी को बताया कि ये सभी जांचें अदालतों के आदेश पर शुरू की गई थीं।
हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. के एम अब्राहम के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया। उस दौरान VACB ने केस से जुड़े फाइलें साझा की थीं। इसके अलावा, योगेश गुप्ता ने नेता पी. पी. दिव्या के खिलाफ भी जांच शुरू करवाई थी, जिन्हें पिछले साल एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की आत्महत्या मामले में घेरा गया था।
योगेश गुप्ता 2030 में रिटायर होने वाले हैं। पहले भी सीबीआई और ईडी में काम कर चुके हैं और अब वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए इच्छुक हैं। सीएटी का ताजा आदेश उनके लिए राहत और केरल सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।





