
सारा दोष ही मुझ पर मढ़ दिया, जबकि... सोनम वांगचुक ने विदेशी फंडिंग पर भी दिया जवाब
संक्षेप: खबर है कि सोनम वांगचुक के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। इस ऐक्शन को लेकर वांगचुक का कहना है कि अकेले उन्हें ही टारगेट किया जा रहा है। उनकी ओर से कहा गया कि राज्य का दर्जा देने को लेकर मेरी मांग सबसे ज्यादा मुखर थी। इसके चलते ही मुझे टारगेट किया जा रहा है।
लद्दाख के मशहूर ऐक्टिविस्ट सोनम वांगचुक फिलहाल हिंसा के लिए उकसाने के आरोपों से चर्चा में हैं। सोनम वांगचुक के एनजीओ स्टूडेंट्स एजुकेशनल ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की विदेशी फंडिंग का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। यही नहीं खबर है कि सोनम वांगचुक के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। इस ऐक्शन को लेकर वांगचुक का कहना है कि अकेले उन्हें ही टारगेट किया जा रहा है। उनकी ओर से कहा गया कि राज्य का दर्जा देने को लेकर मेरी मांग सबसे ज्यादा मुखर थी। इसके चलते ही मुझे टारगेट किया जा रहा है।
वांगचुक ने कहा कि मुझे पर ही सारा आरोप डाला जा रहा है। हिंसा के अगले ही दिन गृह मंत्रालय की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी हुई। इसमें सोनम वांगचुक का नाम कई बार लिखा गया और हर चीज के लिए मुझे ही जिम्मेदार ठहराया गया।' उन्होंने कहा कि इसमें मेरी कोई गलत नहीं है। लद्दाख के लोग बीते चुनाव में किए वादे पूरे ना होने का अब तक विरोध कर रहे हैं। तब वादा किया गया था कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा। अब लोग उसी की डिमांड कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि सरकार अपनी उस मांग को पूरा करे।
यही नहीं वांगचुक ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ बीते डेढ़ महीने से ही ऐक्शन चल रहा है। उन्होंने कहा, 'मुझे डेढ़ महीने पहले ही बताया गया था कि मेरे खिलाफ राजद्रोह के केस में मुकदमा होगा। इसके अलावा मुझे एक नोटिस मिला था कि मेरे स्कूल की जमीन को वापस ले लिया जाएगा। यही नहीं मेरे यहां सीबीआई की टीम आई और इनकम टैक्स को लेकर भी नोटिस मिला है।' सोनम वांगचुक इसके आगे कहते हैं, 'मुझे नोटिस मिला है, जिसमें पूछा गया कि आपके संस्थान को 2022 से 2024 के दौरान विदेशी फंडिंग मिली है, जबकि आपके पास विदेशी निवेश लेने का लाइसेंस नहीं है। हमने FCRA लाइसेंस इसलिए नहीं था क्योंकि हम विदेश से पैसा चाहते ही नहीं हैं।'
उन्होंने विदेशों से फंडिंग लेने की बात से भी साफ इनकार किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ हमसे सोलर के बारे में जानकारी चाहता था, जिसका अफगानिस्तान में इस्तेमाल किया जा सके। उसकी ओर से इसकी फीस दी गई। इसके अलावा इटली और स्विट्जरलैंड से भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर हमसे जानकारी मांगी गई। हमने वह जानकारी दी तो बदले में हमें नॉलेज फीस मिली। इसे विदेशी फंडिंग कहना गलत है बल्कि यह तो नॉलेज फीस है।





