Hindi NewsIndia NewsWhat is Sawalkote project on Chenab river Centre gives nod amid Indus Waters Treaty suspension

पहले सिंधु समझौता रद्द किया, अब चिनाब नदी पर सावलकोट प्रोजेक्ट को मंजूरी; पाक के बुरे दिन तय

संक्षेप: भारत ने अप्रैल 22 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद इस संधि को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद से सरकार ने पश्चिमी नदियों के जल का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में कदम तेज किए हैं।

Sat, 11 Oct 2025 09:04 AMAmit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, श्रीनगर
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पहले सिंधु समझौता रद्द किया, अब चिनाब नदी पर सावलकोट प्रोजेक्ट को मंजूरी; पाक के बुरे दिन तय

भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चेनाब नदी पर बनने वाले 1856 मेगावॉट के सावलकट जलविद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी दे दी है। यह परियोजना रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब भारत ने पाकिस्तान के साथ इंडस वाटर ट्रीटी यानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर रखा है।

करीब चार दशक से अटकी यह परियोजना अब फिर से गति पकड़ने जा रही है। इसे राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) दो चरणों में बनाएगा। परियोजना की अनुमानित लागत 31,380 करोड़ रुपये है और इसके तहत चेनाब नदी के जल का उपयोग रामबन, रियासी और ऊधमपुर जिलों में किया जाएगा।

परियोजना की प्रमुख विशेषताएं

सावलकट परियोजना में 192.5 मीटर ऊंचा रोलर-कंपैक्टेड ग्रेविटी डैम बनाया जाएगा। इसके साथ ही एक अंडरग्राउंड पावरहाउस (भूमिगत विद्युत गृह) स्थापित किया जाएगा, जिसमें मशीन हॉल, टर्बाइन और जेनरेटर जैसी मुख्य इकाइयां होंगी। यह परियोजना सालाना लगभग 7,534 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न करने की क्षमता रखती है।

एक बार शुरू होने के बाद, यह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी। इससे न केवल क्षेत्र में बिजली आपूर्ति में भारी बढ़ोतरी होगी, बल्कि भारत की चेनाब नदी के जल को संग्रहित और प्रबंधित करने की क्षमता भी बढ़ेगी। ऐसा करना इंडस वाटर ट्रीटी के तहत भारत का अधिकार है, परंतु अब तक तकनीकी और कूटनीतिक कारणों से इसका पूरा उपयोग नहीं हो पाया था।

1960 की संधि और भारत का अधिकार

1960 में साइन की गई इंडस वाटर ट्रीटी के तहत तीन पूर्वी नदियां- रावी, ब्यास और सतलुज भारत को दी गई थीं, जबकि तीन पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चेनाब पाकिस्तान को आवंटित की गईं। हालांकि, भारत को इन पश्चिमी नदियों के जल का सीमित उपयोग गैर-उपभोगी कार्यों जैसे रन-ऑफ-द-रिवर हाइड्रोपावर उत्पादन, नौवहन और मत्स्य पालन के लिए करने की अनुमति है।

भारत ने अप्रैल 22 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद इस संधि को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद से सरकार ने पश्चिमी नदियों के जल का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में कदम तेज किए हैं।

पुनर्वास और पर्यावरणीय स्थिति

ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, परियोजना के लिए कुल 1,401.35 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी, जिसमें से 847.17 हेक्टेयर वन क्षेत्र और 554.18 हेक्टेयर गैर-वन भूमि शामिल है। परियोजना के चलते 13 गांवों के लगभग 1,500 परिवारों को विस्थापित होना पड़ेगा। NHPC ने इसके लिए विस्तृत पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन योजना तैयार की है, जिसमें प्रभावित परिवारों को आवास, जीविकोपार्जन सहायता और कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव है।

पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति की बैठक के अनुसार, परियोजना स्थल से 10 किलोमीटर के दायरे में कोई भी राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य नहीं है। निकटतम संरक्षित क्षेत्र- किश्तवाड़ हाई-एल्टीट्यूड नेशनल पार्क परियोजना से लगभग 62.8 किलोमीटर दूर स्थित है।

परियोजना का इतिहास

सावलकट परियोजना का प्रस्ताव पहली बार 2016 और 2017 में पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष रखा गया था, लेकिन वन स्वीकृति और पुनर्वास से जुड़ी जटिलताओं के कारण इसे मंजूरी नहीं मिल सकी। बाद में 3 जनवरी 2021 को जम्मू-कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और NHPC के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके बाद परियोजना को दोबारा आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

रणनीतिक और आर्थिक महत्व

विशेषज्ञों का कहना है कि सावलकट परियोजना न केवल जम्मू-कश्मीर की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाएगी, बल्कि यह भारत के लिए एक रणनीतिक जवाब भी होगी, जिससे चेनाब बेसिन पर नियंत्रण और जल संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह परियोजना ऊर्जा, पर्यावरण और राष्ट्रीय सुरक्षा तीनों ही दृष्टियों से भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

Amit Kumar

लेखक के बारे में

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अमित कुमार एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में नौ वर्षों से अधिक का अनुभव है। वर्तमान में वह लाइव हिन्दुस्तान में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर के रूप में कार्यरत हैं। हिन्दुस्तान डिजिटल के साथ जुड़ने से पहले अमित ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया है। अमित ने अपने करियर की शुरुआत अमर उजाला (डिजिटल) से की। इसके अलावा उन्होंने वन इंडिया, इंडिया टीवी और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में काम किया है, जहां उन्होंने न्यूज रिपोर्टिंग व कंटेंट क्रिएशन में अपनी स्किल्स को निखारा। अमित ने भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से हिंदी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा और गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी, हिसार से मास कम्युनिकेशन में मास्टर (MA) किया है। अपने पूरे करियर के दौरान, अमित ने डिजिटल मीडिया में विभिन्न बीट्स पर काम किया है। अमित की एक्सपर्टीज पॉलिटिक्स, इंटरनेशनल, स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, इंटरनेट रिपोर्टिंग और मल्टीमीडिया स्टोरीटेलिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है। अमित नई मीडिया तकनीकों और पत्रकारिता पर उनके प्रभाव को लेकर काफी जुनूनी हैं। और पढ़ें
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