हरियाणा से गोवा तक, CM का चेहरा चुनने में BJP की क्या रणनीति; दिल्ली में भी चलेगा वही मास्टरस्ट्रोक?
- दिल्ली में भी नए मुख्यमंत्री पर अटकलें जारी हैं। अनुमान है कि भाजपा दिल्ली के लिए भी अपने पुराने ढर्रे को अपनाते हुए सीएम का चुनाव करेगी।

बीजेपी ने बीते कुछ सालों में मुख्यमंत्री बदलने की जो रणनीति अपनाई है, वो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की मजबूत पकड़ को दर्शाती है। हरियाणा, गोवा, कर्नाटक और त्रिपुरा समेत कई राज्यों में सीएम बदले गए, लेकिन कहीं भी कोई बड़ा असंतोष नहीं दिखा। अब चर्चा तेज है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की जगह नया चेहरा आ सकता है, वहीं दिल्ली में भी नए मुख्यमंत्री पर अटकलें जारी हैं। अनुमान है कि भाजपा दिल्ली के लिए भी अपनी इसी अपने इसी ढर्रे को अपनाते हुए सीएम का चुनाव करेगी। आइए समझते हैं बीजेपी के सीएम चुनने की रणनीति को...
पार्टी के अंदर इस पूरी प्रक्रिया को लेकर कोई हलचल या विरोध नहीं दिखता। इसकी वजह साफ है कि बीजेपी में संगठन सर्वोपरि है, न कि कोई व्यक्ति विशेष। बीजेपी आलाकमान ने जिस रणनीतिक ढंग से राज्य सरकारों में बदलाव किए हैं, उसने यह संदेश दे दिया है कि मुख्यमंत्री का पद पार्टी के लिए स्थायी नहीं, बल्कि जरूरत के मुताबिक बदला जा सकता है।
2014 के बाद 10 से ज्यादा बार बदले मुख्यमंत्री
मोदी सरकार बनने के बाद बीजेपी ने 10 से ज्यादा बार मुख्यमंत्रियों को बदला, जिनमें से उत्तराखंड और गुजरात में दो-दो बार बदलाव किया गया। खास बात ये है कि इनमें से अधिकतर मुख्यमंत्री अपेक्षाकृत कम चर्चित चेहरे थे। राजस्थान में भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश में मोहन यादव, छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय, हरियाणा में नायब सैनी और ओडिशा में मोहन माझी जैसे नेताओं को सीएम बनाकर पार्टी ने साफ कर दिया कि वह किसी एक चेहरे पर निर्भर नहीं रहना चाहती।
लोकसभा चुनाव से पहले और बाद में भी बदलाव
बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चार राज्यों में नए मुख्यमंत्री नियुक्त किए और चुनाव के बाद एक और बदलाव किया। इस रणनीति के पीछे जातीय संतुलन, क्षेत्रीय राजनीति और संगठन की मजबूती को ध्यान में रखा गया। यही कारण है कि पार्टी के भीतर कोई भी नेता खुद को अजेय नहीं मान सकता।
पुराने सीएम को दी जा रही नई जिम्मेदारी
बीजेपी में सीएम बदलने का मतलब किसी नेता को दरकिनार करना नहीं है। पार्टी ने यह भी सुनिश्चित किया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सम्मानजनक पद मिले। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को केंद्र में मंत्री बनाया गया, हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर भी अब केंद्रीय मंत्री हैं। वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत (उत्तराखंड), बसवराज बोम्मई (कर्नाटक) और बिप्लब देब (त्रिपुरा) अब लोकसभा सांसद के रूप में सक्रिय हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
अन्य पार्टियों से अलग रणनीति
दूसरी पार्टियों में जब मुख्यमंत्री बदले जाते हैं, तो कई बार विरोध और बगावत देखने को मिलती है। लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं होता। वजह है पार्टी का हाईकमान मॉडल, जहां केंद्रीय नेतृत्व का फैसला अंतिम होता है और राज्य इकाइयां उसे सहजता से स्वीकार करती हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "पार्टी चाहती है कि संगठन से बड़ा कोई न हो। कोई भी मुख्यमंत्री बदला जा सकता है, लेकिन संगठन और पार्टी की विचारधारा स्थायी है।"