अफजल गुरु पर उमर अब्दुल्ला ने ऐसा क्या कह दिया, भड़क गई बीजेपी, पूछा- क्यों बचाना चाहते थे?
- उमर अब्दुल्ला का अफजल गुरु को लेकर दिए गए बयान पर भाजपा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वो आखिर चाहते क्या हैं, जो व्यक्ति देश के खिलाफ साजिश में शामिल था उसे क्यों बचाना चाहते थे।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दु्ल्ला का अफजल गुरु की फांसी पर दिया गया हालिया बयान तूल पकड़ता जा रहा है। प्रदेश के पूर्व भाजपा उपाध्यक्ष कविंदर गुप्ता ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि आखिर उमर अब्दुल्ला क्या हल करना चाहते हैं? अगर कोई व्यक्ति भारत के खिलाफ साजिश करता है तो उसे मौत की सजा मिलनी ही चाहिए। देश के खिलाफ साजिश करने वाले अगर किसी राष्ट्रविरोधी व्यक्ति को मौत की सजा मिलती है तो उसमें उन्हें क्या दिक्कत है? वह आतंकवादियों का सपोर्ट लेना चाहते हैं और वह ले रहे हैं, इसलिए वह ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
दरअसल, अपने एक इंटरव्यू में उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अफजल गुरु की फांसी में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भागीदारी नहीं थी, अगर उसकी फांसी में जम्मू सरकार की मंजूरी की जरूरत पड़ती तो हम नहीं देते। लेकिन दुर्भाग्य से इसमें हमारी सरकार की कोई मंजूरी की जरूरत नहीं थी इसलिए हम इसमें कोई भूमिका नहीं निभा पाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा मुझे नहीं लगता कि उसे फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा हुआ है। अपनी बात साफ करते हुए उमर ने कहा कि मैं सजा-ए-मौत में विश्वास नहीं करता क्योंकि मैं नहीं मानता कि जज हमेशा अचूक होते हैं, हमनें कई बार देखा है कि फांसी की सजा दे दी जाती है और बाद में पता चलता है कि व्यक्ति निर्दोष था।
अफजल गुरु को संसद हमले की साजिश रचने और सहायता करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे भारत सरकार द्वारा फांसी दे दी गई थी। अफजल गुरु की फांसी का देश में भारी विरोध भी हुआ था। उस समय पर कई लोगों ने इसको लेकर पिटीशन भी लगाई थी। लेकिन अफजल को संसद पर हुए हमले का दोषी पाया गया और कोर्ट के आदेश पर उसे 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।
उमर का बयान ऐसे समय में आया है जब घाटी में एक दशक के अंतराल के बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। कश्मीर में यह चुनाव आर्टिकल 370 के हटने के बाद पहली बार हो रहे हैं। ऐसे में कोई भी पार्टी इसमें कोई कमी नहीं छोड़नी चाहती है। उमर के इस बयान में उनके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए भी असहज स्थिति उत्पन्न कर दी है, क्योंकि जब अफजल अंसारी को फांसी दी गई तब केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए की ही सरकार थी।
जम्मू-कश्मीर की कुल 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होने हैं। 18,25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी।
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