
विष्णु की मूर्ति का सिर तोड़ा गया था या अधूरी ही है? CJI गवई के कमेंट के बाद बहस तेज
संक्षेप: आपको बता दें कि यह मंदिर खजुराहो समूह के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा है। प्रतिमा नागर शैली की बारीक नक्काशी से सुसज्जित है। धड़, हाथ और पैर पूरी तरह सुरक्षित हैं, केवल सिर गायब है।
मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जवरी मंदिर में सात फुट ऊंची भगवान विष्णु की बिना सिर वाली प्रतिमा इन दिनों सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट में इस प्रतिमा की पुनर्स्थापना को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। सीजेआई गवई ने याचिकाकर्ता से कहा था, “अगर आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं तो प्रार्थना कीजिए और ध्यान कीजिए, यही सही मार्ग है।” इस टिप्पणी के बाद प्रतिमा के गायब सिर को लेकर फिर सवाल उठने लगे कि क्या यह विदेशी आक्रमणकारियों ने तोड़ा था या मूर्ति अधूरी रह गई थी।

आपको बता दें कि यह मंदिर खजुराहो समूह के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा है। प्रतिमा नागर शैली की बारीक नक्काशी से सुसज्जित है। धड़, हाथ और पैर पूरी तरह सुरक्षित हैं, केवल सिर गायब है।
गायब सिर पर दो प्रमुख थ्योरी काम कर रही है। पहले में दावा है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ा। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि आक्रमणकारियों ने पूजा रोकने के उद्देश्य से प्रतिमा का सिर तोड़ा। वहीं, दूसरा अधूरी मूर्ति का सिद्धांत है। इसके मुताबिक, मूर्ति शायद कभी पूरी ही नहीं हुई। भारत में अधूरे मंदिरों और अधूरी मूर्तियों के कई उदाहरण हैं।
बुंदेलखंड क्षेत्र में महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी जैसे आक्रमणकारियों के हमले हुए थे, लेकिन चंदेल शासकों ने कई बार अपने प्रमुख स्थलों की रक्षा की। इतिहासकारों का कहना है कि खजुराहो पर व्यापक हमला नहीं हुआ, वरना अधिकांश मंदिर नष्ट हो जाते। 15वीं सदी में सिकंदर लोदी के हमले के बाद खजुराहो सदियों तक जंगलों में छिपा रहा और 18वीं सदी में ब्रिटिश अधिकारी टी.एस. बर्ट ने इसे पुनः खोजा।
पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार, आक्रमणकारी कई बार पूरे मंदिर को नहीं गिराते थे, बल्कि मुख्य प्रतिमा को नुकसान पहुंचाकर पूजा-अर्चना रोक देते थे। खासकर प्रतिमा का सिर तोड़ना सबसे आम तरीका था। इसके बाद मूर्ति को विखंडित माना जाता है लोग पूजा करने से परहेज करते हैं।
कुल मिलाकर आज भी यह स्पष्ट सबूत नहीं हैं कि जवरी मंदिर की प्रतिमा का सिर क्यों नहीं है। यह अधूरी रह गई मूर्ति भी हो सकती है और आक्रमण का निशाना भी। फिलहाल यह प्रश्न इतिहास और पुरातत्व दोनों के लिए एक पहेली बना हुआ है।





