Hindi NewsIndia NewsUK should give up UN Security Council seat for India jokes former Ambassador Kishore Mahbubani

200 साल राज किया, भारत के लिए अपनी सीट छोड़े ब्रिटेन; UN सुरक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ने लिए मजे

संक्षेप: किशोर महबूबानी का यह बयान कोई नया नहीं है। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने ब्रिटेन को पिछले युग का देश कहा था। मई में चाइना एकेडमी इवेंट में भी उन्होंने दोहराया कि वीटो पावर कल की महाशक्तियों के लिए नहीं है।

Wed, 8 Oct 2025 12:15 PMAmit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, सिंगापुर
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200 साल राज किया, भारत के लिए अपनी सीट छोड़े ब्रिटेन; UN सुरक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ने लिए मजे

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों की मांग लंबे समय से उठ रही है। कई देश खुले तौर पर भारत की सदस्यता का समर्थन कर चुके हैं। इस बीच सिंगापुर के पूर्व राजदूत किशोर महबूबानी ने एक बार फिर भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए ब्रिटेन से अपनी सीट छोड़ने का आह्वान किया है।

उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि ब्रिटेन ने भारत पर 200 साल तक शासन किया, इसलिए यह सीट छोड़ना उनके लिए न्यूनतम प्रायश्चित होगा। बता दें कि महबूबानी खुद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने हाल ही में भारत को वैश्विक राजनीति का 'तीसरा ध्रुव' करार दिया था।

आईआईएम एल्युमिनी सिंगापुर के एक कार्यक्रम में महबूबानी ने कहा, "ब्रिटेन को भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपनी सीट छोड़ देनी चाहिए। अंग्रेजों ने भारत पर 200 साल तक राज किया, कम से कम वे इतना तो कर ही सकते हैं।" उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों ने यह सीट आज की महाशक्तियों के लिए बनाई थी, न कि कल की महाशक्तियों के लिए। ब्रिटिश भी यह समझते हैं।

पूर्व दूत ने आगे कहा, "यह समय है कि ब्रिटेन अपनी स्थायी सदस्यता त्याग दे। भारत दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है, जबकि ब्रिटेन अब 'महान' नहीं रहा।" उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बनने की कगार पर है। उन्होंने कहा, "अमेरिका और चीन के बीच स्थित होने के कारण, भारत जिस भी पक्ष का समर्थन करेगा, संतुलन उसी के अनुरूप होगा।"

ब्रिटेन की सीट क्यों छोड़नी चाहिए?

महबूबानी ने ब्रिटेन के वीटो पावर के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि दशकों से ब्रिटेन ने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया है, क्योंकि उन्हें बैकलैश का डर सताता है। उन्होंने कहा, "ब्रिटेन अब वैश्विक मामलों में निर्णायक भूमिका नहीं निभा पाता। अगर वे सीट छोड़ देते हैं, तो वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकेंगे और यूएन की विश्वसनीयता बढ़ेगी।"

उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था, जनसांख्यिकी और कूटनीतिक क्षमता का जिक्र करते हुए कहा कि कोई संदेह नहीं कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रभावशाली देश है। उन्होंने कहा, "कोविड, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय संकट जैसे मुद्दों से निपटने के लिए मजबूत वैश्विक परिषद की जरूरत है, और भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।"

किशोर महबूबानी का यह बयान कोई नया नहीं है। सितंबर में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने ब्रिटेन को "पिछले युग का देश" कहा था। मई में चाइना एकेडमी इवेंट में भी उन्होंने दोहराया कि वीटो पावर "कल की महाशक्तियों" के लिए नहीं है। ब्रिटेन ने भारत के यूएनएससी प्रवेश का समर्थन किया है, लेकिन अपनी सीट छोड़ने की कोई योजना नहीं जताई।

Amit Kumar

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अमित कुमार एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में नौ वर्षों से अधिक का अनुभव है। वर्तमान में वह लाइव हिन्दुस्तान में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर के रूप में कार्यरत हैं। हिन्दुस्तान डिजिटल के साथ जुड़ने से पहले अमित ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया है। अमित ने अपने करियर की शुरुआत अमर उजाला (डिजिटल) से की। इसके अलावा उन्होंने वन इंडिया, इंडिया टीवी और जी न्यूज जैसे मीडिया हाउस में काम किया है, जहां उन्होंने न्यूज रिपोर्टिंग व कंटेंट क्रिएशन में अपनी स्किल्स को निखारा। अमित ने भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से हिंदी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा और गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी, हिसार से मास कम्युनिकेशन में मास्टर (MA) किया है। अपने पूरे करियर के दौरान, अमित ने डिजिटल मीडिया में विभिन्न बीट्स पर काम किया है। अमित की एक्सपर्टीज पॉलिटिक्स, इंटरनेशनल, स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, इंटरनेट रिपोर्टिंग और मल्टीमीडिया स्टोरीटेलिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है। अमित नई मीडिया तकनीकों और पत्रकारिता पर उनके प्रभाव को लेकर काफी जुनूनी हैं। और पढ़ें
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