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ट्रंप के टैरिफ अटैक से चकराया चीन, मगर भारत की होगी बल्ले-बल्ले; समझिए कैसे

  • ट्रंप टैरिफ अटैक के बाद कई अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां चीन से हटकर भारत जैसे देशों का रुख कर सकती हैं, जहां व्यापारिक माहौल स्थिर है और टैरिफ कम हैं।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 10 April 2025 05:06 PM
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ट्रंप के टैरिफ अटैक से चकराया चीन, मगर भारत की होगी बल्ले-बल्ले; समझिए कैसे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर जबरदस्त 125 फीसदी का टैरिफ ठोककर साफ कर दिया है कि अब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था किसी भी अनुचित ट्रेड को बर्दाश्त नहीं करेगी। इस सख्त फैसले के बाद जहां चीन को झटका लगा है, वहीं भारत जैसे देशों को राहत की सांस मिली है। खास बात ये है कि दर्जनों देशों पर लगे टैरिफ को अमेरिका ने 90 दिन के लिए टाल दिया है लेकिन चीन को कोई राहत नहीं मिली।

अमेरिका उन देशों के लिए टैरिफ को 10% बेसलाइन तक लाने को तैयार है जो मोलभाव के लिए आगे आ रहे हैं। भारत को भी इस फैसले में फायदा मिला है। अमेरिका ने भारत पर 26% आयात शुल्क लगाया था, लेकिन दवाइयों और सेमीकंडक्टर सेक्टर को छूट दी गई है। अब भारत को 90 दिनों की राहत मिली है, जिससे व्यापारिक मोर्चे पर नई उम्मीद जगी है।

क्यों होगी भारत की चांदी?

ऐसा माना जा रहा है कि अब कई अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां चीन से हटकर भारत जैसे देशों का रुख कर सकती हैं जहां व्यापारिक माहौल स्थिर है और टैरिफ कम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही ट्रंप के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत दे चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि ये डील इसी साल फाइनल हो जाएगी।

वहीं ट्रंप प्रशासन ने साफ किया है कि ये कदम किसी ट्रेड वॉर का हिस्सा नहीं बल्कि उन देशों के खिलाफ कार्रवाई है जो वैश्विक व्यापार में असंतुलन पैदा कर रहे हैं। अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने चीन का नाम लिए बिना इशारा साफ कर दिया कि टारगेट कौन है। उन्होंने बताया कि अमेरिका जिन देशों से बातचीत कर रहा है, उनमें जापान, साउथ कोरिया, वियतनाम और भारत शामिल हैं।

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चीन और अमेरिका में जारी है टैरिफ जंग

चीन ने भी ट्रंप सरकार को जवाब देने की कोशिश की और 10 अप्रैल से अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने तुरंत पलटवार करते हुए चीन पर 125% टैरिफ लगाने की घोषणा की। बेसेन्ट का कहना है कि यह रणनीति सफल रही है क्योंकि 75 से ज्यादा देश अब अमेरिका के साथ बातचीत की मेज पर आ चुके हैं।