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तीन तलाक अवैध हुआ, तो नया कानून : केंद्र

केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यदि अदालत तलाक की तीनों किस्में असंवैधानिक ठहराकर रद्द करती है, तो मुस्लिम विवाह और तलाक को नियमित करने के लिए सरकार तुरंत कानून लाएगी। अटार्नी जनरल...

तीन तलाक अवैध हुआ, तो नया कानून : केंद्र
श्याम सुमन, नई दिल्लीTue, 16 May 2017 12:34 AM
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केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यदि अदालत तलाक की तीनों किस्में असंवैधानिक ठहराकर रद्द करती है, तो मुस्लिम विवाह और तलाक को नियमित करने के लिए सरकार तुरंत कानून लाएगी। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पांच जजों की संविधान पीठ से कहा कि तलाक घोर अनैतिक और बराबरी तथा भेदभाव के संवैधानिक सिद्धांतों (अनुच्छेद 14, 15 और 21) का उल्लंघन करता है। रोहतगी से कोर्ट ने पूछा था कि मुस्लिम शरीया कानून, 1937 की धारा- 2 (तलाक- तलाके बिद्दत, एहसन और हसन) को रद्द करने के बाद कोई कानून नहीं होगा तो पुरुष तलाक कैसे लेंगे। 

धार्मिक मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं 
वरिष्ठ अधिवकता इंदिरा जयसिंह ने भी बीच में टोका कि आप कानून अभी क्यों नहीं लाते कोर्ट में क्यों आए हैं। अटार्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक अधिकारों का संरक्षक है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम अल्पसंख्यकों के अधिकारों के भी संरक्षक हैं। कोर्ट में धर्म के मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती। 

पाक में भी तीन तलाक नहीं
अटार्नी जनरल ने कहा कि यह धार्मिक नहीं, संवैधानिक नैतिकता का मुद्दा है। तमाम मुस्लिम देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान, टयूनीशिया, मोरक्को, टर्की, मिश्र और ईरान में तीन तलाक खत्म किया जा चुका है। यहां इसके लिए अदालतें हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि तलाक धर्म का मौलिक तत्व नहीं है तब ही इसमें बदलाव किया गया है। 

तीन तलाक बेहद अवांछित 
रोहतगी ने कहा, भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में तीन तलाक बेहद अवांछित है। यदि मान लें कि यह धर्म का अंग है तो भी यह संविधान के अनुच्छेद-25 से संचालित होगा जिसमें इस पर नैतिकता के प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। 

...वंचित नहीं रखा जा सकता
अटॉनी जनरल ने कहा, एक समुदाय की 50 फीसदी आबादी को उन अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता जो उसी देश में दूसरे समाज की महिलाओं को उपलब्ध हैं। पर्सनल लॉ के नाम पर अनैतिक और गैरन्यायिक प्रैक्टिस को जारी नहीं रहने दिया जा सकता। 
मुख्य न्यायाधीश ने अटार्नी से कहा कि आपके अनुसार आदर्श विवाह कानून स्पेशल मैरिज एक्ट है इसलिए सभी धर्मों के विवाह कानूनों को रद्द कर देना चाहिए। विवाह कानून जैसे हिंदू मुस्लिम, सिख, पारसी, ईसाई विवाह कानून धर्मों के अनुसार ही बने हैं। उन्हें धर्म ही लेकर आया है। 

सवाल जवाब : 
जस्टिस यूयू ललित : 
यदि हम तलाक को असंवैधानिक ठहराकर समाप्त कर देंगे तो पुरुष कैसे तलाक लेंगे 
अटार्नी जनरल: 
सरकार हस्तक्षेप करेगी और विवाह को नियमित करने के लिए कानून लाएगी
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर : हम धार्मिक मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकते, हम अल्पसंख्यकों के अधिकारों के भी संरक्षक हैं। 
अटार्नी जनरल: 
भारत धर्मनिरपेक्ष देश है, देश का धर्म संविधान है, धार्मिक कानून भी संविधान से ऊपर नहीं हो सकते उन्हें संवैधानिकता के अधीन ही होना होगा। 
जस्टिस आरएफ नरीमन : 
सभी वैवाहिक कानून धर्म के आधार पर बने हैं क्या सभी को रद्द देना चाहिए और स्पेशल मैरिज एक्ट ही सब पर थोप देना चाहिए। 
अटार्नी जनरल: 
लेकिन क्या इन पर्सनल लॉ के नाम पर महिलाओं के अधिकारों को रौंदा जा सकता है। क्या सुप्रीम कोर्ट इससे आंखें मूद लेगा। क्या महिलाएं जर खरीद संपत्ति हैं, जब जी चाहा तीन तलाक बोलकर छोड़ दिया।
जस्टिस कुरियन जोसेफ : 
तो आप कह रहे हैं कि मुस्लिम देशों ने तलाक के कानून में सुधार किया है वह इसलिए कि यह धर्म का बुनियादी तत्व नहीं है। 
अटार्नी जनरल: 
बिल्कुल, भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश है तो उसमें तीन तलाक बहुत ही अनैतिक है। आप किसी समुदाय की 50 फीसद आबादी को अधिकारों से वंचित नहीं कर सकते तो देश में दूसरे समुदाय की महिलाओं को मिले हुए हैं। 

बहुविवाह और निकाह हलाला मुद्दे बंद नहीं : 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समय की कमी के कारण बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दों पर बाद में सुनवाई की जाएगी। निकाह हलाला में तलाकशुदा महिला को यदि अपने पूर्व पति से ही शादी करनी तो उसे पहले किसी अन्य पुरुष से विवाह करने के बाद उसे तलाक देना पड़ेगा।  

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