
कंप्यूटर तो छोड़िए, CM ऑफिस में कार्बन तक नहीं था; नीतीश कुमार को हाथ से लिखना पड़ा पहला आदेश
संक्षेप: नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के नेता लगातार इस बात का जिक्र करते हैं कि उन्होंने 2005 की तुलना में बिहार को काफी बदला है। एनडीए नेता उस दौर के कथित जंगलराज और भ्रष्टाचार का भी उदाहरण देने से नहीं चूकते हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। वर्ष 2005 से बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार के लिए अपनी कुर्सी बचाने की चुनौती है। उनके सामने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई वाला महागठबंधन है जिसमें की कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं। नीतीश कुमार ने जब पहली बार बिहार की सत्ता संभाली थी तो उन्होंने राजद-कांग्रेस गठबंधन को ही सत्ता से बेदखल किया था। इसमें उन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) का बराबर का सहयोग मिला था।

नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के नेता लगातार इस बात का जिक्र करते हैं कि उन्होंने 2005 की तुलना में बिहार को काफी बदला है। एनडीए नेता उस दौर के कथित जंगलराज और भ्रष्टाचार का भी उदाहरण देने से नहीं चूकते हैं।
'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर नीतीश कुमार 2005 से पहले 2000 में भी सात दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे। इस दौरान बतौर मुख्यमंत्री जब उन्होंने पहला आदेश जारी किया था तो मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रिंटर या फोटो स्टेट मशीन तक की व्यवस्था नहीं थी।
अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखे एक लेख में अदिति फडनीस ने इस घटना का जिक्र किया है। उन्होंने नीतीश कुमार के हवाले से कहा, 'जब मैं मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंचा तो मुझे वहां मुझे रेमिंगटन टाइपराइटर और कुछ कागज मिले। मैंने अपना पहला आदेश हाथ से लिखा था। इसकी दूसरी कॉपी भी हाथ से ही लिखनी पड़ी, क्योंकि कॉपी करने के लिए कार्बन पेपर तक नहीं थे।'
आपको बता दूं कि इस चुनाव में भी भाजपा-जेडीयू गठबंधन के द्वारा 2005 से पहले वाले बिहार का जिक्र किया जाता है। एनडीए का दावा है कि इन 20 वर्षों की तुलना में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विकास के काफी काम हुए हैं। जेडीयू-भाजपा नेताओं के मुताबिक, इन 20 वर्षों में सड़कें बनीं, घर-घर बिजली पहुंचाई, कानून व्यवस्था को ठीक किया, महिलाओं को रोजगार के अवसर दिए। हालांकि, इस दौरान दो मैके ऐसे भी आए जब नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़कर राजद के साथ गठबंधन किया।





