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महाराष्ट्र में बवंडर बन गई हिंदी विरोधी हवा; उद्धव-राज ठाकरे के साथ आने से फूले नहीं समाए एमके स्टालिन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी विरोध को लेकर उद्धव और राज ठाकरे के एक मंच पर आने पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि जो भाषा विरोध तमिलनाडु से शुरू हुआ वह महाराष्ट्र में बवंडर का रूप ले चुका है।

Ankit Ojha पीटीआईSat, 5 July 2025 10:31 PM
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महाराष्ट्र में बवंडर बन गई हिंदी विरोधी हवा; उद्धव-राज ठाकरे के साथ आने से फूले नहीं समाए एमके स्टालिन

हिंदी को लेकर तमिलनाडु से शुरू हुआ विवाद अब महाराष्ट्र पहुंच गया है। इसी विवाद के चलते शनिवार को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 23 साल बाद एक ही मंच पर दिखे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि हिंदी भाषा को लेकर जो हवा डीएमके और तमिलनाडु से चली थी वह अब राज्य की सीमा पार कर महाराष्ट्र में बवंडर बन गई है। उन्होंने कहा कि जो बीजेपी कहती थी कि अगर तमिलनाडु में तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को नहीं लागू किया गया तो फंड का आवंटन रुक जाएगा अब वही महाराष्ट्र में जनता के विरोध के बाद बैकफुट पर आ गई है और महाराष्ट्र की सरकार को अपना ही फैसला वापस लेना पड़ा।

सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर स्टालिन ने कहा, भाई उद्धव ठाकरे की अगुआई में जो मुंबई में विजय रैली हुई वह बेहद उत्साहजनक थी। महाराष्ट्र कीसरकार ने कक्षा 1 से ही स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने को लेकर आदेश जारी किया था। इसके बाद उद्धव और राज ठाकरे ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने पहले ही 5 जुलाई की रैली का ऐलान कर दिया था। हालांकि इससे पहले ही सरकार ने अपने दोनों आदेश वापस ले लिए। फिर भी ठाकरे भाइयों ने रैली का आयोजन किया।

इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनके चचेरे भाई राज ठाकरे साथ रहने के लिए ही साथ आए हैं। राज ठाकरे ने कहा कि सरकार त्रिभाषा नीति इसलिए लागू करना चाहती है ताकि मुंबई और महाराष्ट्र को अलग किया जा सके। स्टालिन ने कहा, मैं जानता हूं कि केंद्र सरकार का प्रमुख अजेंडा हिंदी और संस्कृत को आगे बढा़ना है लेकिन उनके पास राज ठाकरे के सवालों का जवाब नहीं है। राज ठाकरे ने पूछा कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कौन सी तीसरी भाषा पढ़ाई जा रही है। हिंदी भाषी राज्य जैसे कि उत्तर प्रदेश और बिहार पिछड़े क्यों हैं, विकास कर रहे राज्यों पर ही हिंदी जबरन क्यों थोपी जा रही है।

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राज ठाकरे ने यह भी पूछा कि क्या केंद्र सरकार तमिलनाडु को लेकर अपना फैसला वापस लेगी। केंद्र ने कहा था कि हिंदी या संस्कृत को तीसरी भाषा के तौर पर लागू करने पर ही समग्र शिक्षा अभियान के तहत 2152 करोड़ रुपयों के बजट का आवंटन होगा। स्टालिन ने कहा, तमिलनाडु के लोगों ने हिंदी को थोपने के खिलाफ जिस तरह से संघर्ष किया है वह केवल भावनात्मक ही नहीं बल्कि बौद्धिक और तार्किक भी था। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि महाराष्ट्र से ही केंद्र सरकार की आंखें खुल जाएं। स्टालिन ने कहा, तमिलाडु के लोग केंद्र की खिचड़ी संस्कृति को लागू नहीं होने देंगे। बीजेपी ने तमिलनाडु के लोगों के साथ धोखा किया है और उन्हें जनता जवाब देगी।

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