Hindi NewsIndia NewsTaj Mahal and the Red Fort will also be declared Waqf properties Why did Kerala HC say so
कल को ताजमहल और लाल किला भी वक्फ संपत्ति बता दी जाएगी, किस बात पर भड़का केरल HC

कल को ताजमहल और लाल किला भी वक्फ संपत्ति बता दी जाएगी, किस बात पर भड़का केरल HC

संक्षेप: मुनंबम की यह जमीन 1950 में सिद्दीक सैद नामक व्यक्ति द्वारा फारूक कॉलेज को दान में दी गई थी। उस समय भूमि का कुल क्षेत्रफल 404.76 एकड़ था, जो समुद्री कटाव के कारण घटकर 135.11 एकड़ रह गया है।

Sat, 11 Oct 2025 06:46 AMHimanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान
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केरल हाईकोर्ट ने मुनंबम वक्फ भूमि विवाद पर एक सख्त टिप्पणी करते हुए राज्य वक्फ बोर्ड को जमकर फटकार लगाई है। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि किसी भी संपत्ति को बिना उचित प्रक्रिया के वक्फ घोषित करने की अनुमति दी गई तो कल को ताजमहल, लालकिला, विधानसभा भवन या यहां तक कि हाईकोर्ट की इमारत को भी वक्फ संपत्ति बताया जा सकता है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश एस.ए. धर्माधीकारी और न्यायमूर्ति श्याम कुमार वी.एम. की खंडपीठ ने ‘स्टेट ऑफ केरल बनाम केरल वक्फ संरक्षण वेधी’ मामले में सुनाया।

न्यायालय ने कहा, “यदि न्यायपालिका ऐसे मनमाने वक्फ घोषणाओं को वैधता दे दे तो कल को कोई भी इमारतो,चाहे वह ताजमहल, लालकिला, विधान भवन या स्वयं यह अदालत हो, वक्फ घोषित की जा सकती है। यह प्रवृत्ति संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत नागरिकों के संपत्ति अधिकार, अनुच्छेद 19 के तहत व्यापार की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और आजीविका के अधिकार के लिए खतरा है।” पीठ ने कहा कि संविधानिक दायित्वों के तहत कोई भी अदालत ऐसी काल्पनिक और विलंबित शक्ति के प्रयोग को मंजूरी नहीं दे सकती।

मुनंबम की यह जमीन 1950 में सिद्दीक सैद नामक व्यक्ति द्वारा फारूक कॉलेज को दान में दी गई थी। उस समय भूमि का कुल क्षेत्रफल 404.76 एकड़ था, जो समुद्री कटाव के कारण घटकर 135.11 एकड़ रह गया है। इस भूमि पर पहले से ही कई लोग बसे हुए थे और कॉलेज प्रबंधन ने बाद में इन निवासियों को जमीन बेच भी दी। इन बिक्री दस्तावेजों में कहीं भी भूमि के वक्फ होने का उल्लेख नहीं था। लेकिन लगभग 69 साल बाद 2019 में केरल वक्फ बोर्ड ने अचानक इस जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया और पुराने बिक्री सौदों को अवैध ठहरा दिया।

लगभग 600 परिवारों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने नवंबर 2024 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सी.एन. रामचंद्रन नायर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया था। इसे वक्फ संरक्षण समिति ने अदालत में चुनौती दी। कहा गया कि सरकार को वक्फ संपत्ति की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। मार्च 2025 में एकल पीठ ने आयोग को रद्द कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की।

खंडपीठ ने कहा कि फारूक कॉलेज को दी गई भूमि ‘गिफ्ट डीड’ (दानपत्र) थी, वक्फ डीड नहीं। पिछली सभी कानूनी कार्यवाहियों में इसे दानपत्र ही माना गया था और कॉलेज प्रबंधन ने भी इसे वक्फ नहीं बताया था। वक्फ बोर्ड ने सिर्फ इसलिए इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया क्योंकि दस्तावेज का शीर्षक “वक्फ घोषणा” लिखा था, जबकि उसमें वक्फ बनने की आवश्यक कानूनी शर्तें पूरी नहीं थीं।

अदालत ने कहा कि वक्फ बोर्ड की यह कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण और स्वार्थपूर्ण प्रतीत होती है, क्योंकि यह कदम भूमि के व्यावसायिक मूल्य बढ़ने के बाद उठाया गया। कोर्ट ने कहा, “केडब्ल्यूबी (वक्फ बोर्ड) की यह कार्रवाई साफ तौर पर बेईमानी से प्रेरित लगती है, जिसका उद्देश्य भूमि पर नियंत्रण हासिल करना है।”

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह मामला वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि अदालत के। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि वह यह जांचने के लिए सक्षम है कि वक्फ घोषित करने की प्रक्रिया सर्वेक्षण, सुनवाई और जांच न्यायोचित तरीके से की गई या नहीं। कोर्ट ने कहा, “किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की प्रक्रिया नागरिकों के मूल अधिकारों को प्रभावित करती है। इसलिए अदालत इस पर निगरानी रख सकती है।”