Hindi NewsIndia NewsSupreme Court urged by Indira Jaising to read down statutory age of consent from 18 to 16 year

सुप्रीम कोर्ट में अनोखी अर्जी, सहमति से संबंध बनाने की उम्र 18 से घटाकर की जाए 16 साल; क्या तर्क?

संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में संबंध बनाने की उम्र को घटाने की मांग की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने उच्चतम न्यायालय में लिखित अर्जी देकर संबंध बनाने की उम्र को घटकर 16 साल करने की मांग की है।

Thu, 24 July 2025 06:05 PMJagriti Kumari भाषा
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सुप्रीम कोर्ट में अनोखी अर्जी, सहमति से संबंध बनाने की उम्र 18 से घटाकर की जाए 16 साल; क्या तर्क?

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाने के लिये कानूनी उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष करने की सिफारिश की है। उन्होंने मंगलवार को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट को एक लिखित अर्जी सौंपी है। इंदिरा जयसिंह ने इस सिफारिश के पीछे कई तर्क दिए हैं। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा है कि यौन स्वायत्तता मानव गरिमा का हिस्सा है। इंदिरा जयसिंह ने पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोर और किशोरियों से जुड़ी यौन गतिविधियों को अपराध मानने को चुनौती देते हुए अपनी अर्जी उच्चतम न्यायालय को सौंपी है। उन्होंने दलील दी है कि वर्तमान कानून किशोरों के बीच सहमति से बनाए गए प्रेम संबंधों को भी अपराध मानता है और उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

जयसिंह ने कहा कि कानूनी ढांचा किशोरों के बीच सहमति से बने संबंधों को दुर्व्यवहार के बराबर मानता है और उनकी स्वायत्तता, परिपक्वता और सहमति देने की क्षमता को नजरअंदाज करता है। जयसिंह ने अपनी लिखित रिपोर्ट में कहा, ‘‘यौन स्वायत्तता मानव गरिमा का हिस्सा है और किशोरों को अपने शरीर के बारे में विकल्प चुनने की क्षमता से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन है।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘सहमति की आयु 16 से बढ़ाकर 18 वर्ष करने को उचित ठहराने के लिए कोई तर्कसंगत कारण या आंकड़ा नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 द्वारा इसे बढ़ाए जाने से पहले 70 वर्षों से अधिक समय तक (यौन सहमति की) आयु सीमा 16 वर्ष ही रही थी। जयसिंह ने कहा कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति की उम्र में बढ़ोतरी बिना किसी बहस के की गई थी और यह जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिश के खिलाफ है।

क्या दिए तर्क?

उन्होंने आगे कहा कि आजकल किशोर समय से पहले ही यौवन प्राप्त कर लेते हैं और अपनी पसंद के रोमांटिक और यौन संबंध बनाने में सक्षम होते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्षों सहित वैज्ञानिक और सामाजिक आंकड़े बताते हैं कि किशोरों में यौन गतिविधियां असामान्य नहीं हैं।

किशोरों को होना पड़ता है मजबूर

जयसिंह ने 2017 और 2021 के बीच 16-18 वर्ष की आयु के नाबालिगों से जुड़े पॉक्सो कानून के तहत अभियोजन में 180 प्रतिशत की वृद्धि का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरजातीय या अंतरधार्मिक संबंधों से जुड़े मामलों में अधिकतर शिकायतें अक्सर लड़की की इच्छा के विरुद्ध माता-पिता द्वारा दर्ज कराई जाती हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सहमति से यौन संबंध को अपराध घोषित करने से युवा जोड़ों को खुलकर संवाद के बजाय छिपने, शादी करने या कानूनी परेशानी में पड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।’’

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हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला

जयसिंह ने बंबई, मद्रास और मेघालय सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के रुझानों की ओर भी इशारा किया गया है, जहां न्यायाधीशों ने पॉक्सो के तहत किशोर लड़कों के खिलाफ स्वतः मुकदमा चलाने पर असहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने रेखांकित किया है कि नाबालिगों से संबंधित सभी यौन कृत्य बलपूर्वक नहीं होते हैं, और कानून को दुर्व्यवहार और सहमति से बने संबंधों के बीच अंतर करना चाहिए। जयसिंह ने शीर्ष अदालत से अपील की कि 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंध को दुर्व्यवहार नहीं माना जाना चाहिए और इसे पॉक्सो और दुष्कर्म के कानूनों के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।

Jagriti Kumari

लेखक के बारे में

Jagriti Kumari
जागृति ने 2024 में हिंदुस्तान टाइम्स डिजिटल सर्विसेज के साथ अपने करियर की शुरुआत की है। संत जेवियर कॉलेज रांची से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन करने बाद, 2023-24 में उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया। खबरें लिखने के साथ साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग का शौक है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय संबंध, खेल और अर्थव्यवस्था की खबरों को पढ़ना पसंद है। मूल रूप से रांची, झारखंड की जागृति को खाली समय में सिनेमा देखना और सिनेमा के बारे में पढ़ना पसंद है। और पढ़ें
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