Hindi NewsIndia NewsSupreme Court says Courts cannot act as recovery agents for recovery of money
पैसों की वसूली के लिए अदालतें रिकवरी एजेंट की तरह नहीं कर सकतीं काम, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

पैसों की वसूली के लिए अदालतें रिकवरी एजेंट की तरह नहीं कर सकतीं काम, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने नटराज को सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है, जो रिटायर्ड जिला न्यायाधीश हो। पुलिस ऐसे नोडल अधिकारी से परामर्श करके यह तय कर सकेगी कि मामला दीवानी है या आपराधिक।

Tue, 23 Sep 2025 03:39 PMNiteesh Kumar भाषा
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतें रिकवरी एजेंट के रूप में कार्य नहीं कर सकतीं। अदालत ने किसी विवाद में पक्षकारों की ओर से दीवानी विवादों को आपराधिक मामलों में बदल देने की प्रवृत्ति की निंदा की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ कहा कि बकाया राशि की वसूली के लिए गिरफ्तारी की धमकी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। यह हालिया प्रवृत्ति बन गई है कि पक्षकार धन की वसूली के लिए आपराधिक मामले दर्ज कराते हैं, जबकि यह पूरी तरह से दिवानी विवाद होता है।

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एससी ने ये टिप्पणियां सोमवार को उत्तर प्रदेश से जुड़े एक आपराधिक मामले में कीं, जहां धन की वसूली के विवाद में व्यक्ति पर अपहरण के आरोप लगाए गए थे। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि इस तरह की शिकायतों में वृद्धि हुई है। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में पुलिस बीच में फंस जाती है, क्योंकि अगर वह संज्ञेय अपराध का मामला होते हुए भी प्राथमिकी दर्ज नहीं करती तो अदालत उसे फटकार लगाती है। अगर दर्ज करती है तो पक्षपात का आरोप लगाया जाता है और यह कहा जाता है कि पुलिस ने विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि आमतौर पर इन शिकायतों में धन की वसूली के विवाद को आपराधिक मामले का रूप दे दिया जाता है।

FIR दर्ज करने को लेकर क्या कहा

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अदालत पुलिस की दुविधा को समझती है। इसने यह भी उल्लेख किया कि अगर संज्ञेय अपराध के आरोप वाले मामलों में FIR दर्ज नहीं की जाती तो पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के 2013 के ललिता कुमारी फैसले का पालन न करने के लिए फटकार लगाई जाती है। पीठ ने पुलिस को सलाह दी कि किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले वह अपने विवेक का इस्तेमाल करके यह देखे कि मामला दीवानी है या आपराधिक। अदालत ने कहा कि इस तरह आपराधिक कानून का दुरुपयोग न्यायिक प्रणाली के लिए गंभीर खतरा बन रहा है।

बकाया राशि वसूलने पर अदालत की टिप्पणी

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की, ‘अदालतें पक्षकारों के लिए बकाया राशि वसूलने के लिए रिकवरी एजेंट नहीं हैं। न्यायिक प्रणाली का इस प्रकार दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’ सुप्रीम कोर्ट ने नटराज को सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है, जो रिटायर्ड जिला न्यायाधीश हो। पुलिस ऐसे नोडल अधिकारी से परामर्श करके यह तय कर सकेगी कि मामला दीवानी है या आपराधिक और उसके बाद कानून के अनुसार आगे बढ़े। पीठ ने नटराज से कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त करें और दो हफ़्तों में अदालत को अवगत कराएं।

Niteesh Kumar

लेखक के बारे में

Niteesh Kumar
नीतीश 7 साल से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। जनसत्ता डिजिटल से बतौर कंटेंट प्रोड्यूसर शुरुआत हुई। लाइव हिन्दुस्तान से जुड़ने से पहले टीवी9 भारतवर्ष और दैनिक भास्कर डिजिटल में भी काम कर चुके हैं। खबरें लिखने के साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग का शौक है। लाइव हिन्दुस्तान यूट्यूब चैनल के लिए लोकसभा चुनाव 2024 की कवरेज कर चुके हैं। पत्रकारिता का पढ़ाई IIMC, दिल्ली (2016-17 बैच) से हुई। इससे पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के महाराजा अग्रसेन कॉलेज से ग्रैजुएशन किया। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले हैं। राजनीति, खेल के साथ सिनेमा में भी दिलचस्पी रखते हैं। और पढ़ें
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