
बच्चों को छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए यौन शिक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कही यह बात? आरोपी को जमानत
संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही सेक्स एजुकेशन दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी एक 15 साल के किशोर को जमानत देते हुए ये टिप्पणियां की हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान देश में यौन शिक्षा की महत्ता पर जोर देते हुए अहम टिप्पणियां की हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही यौन शिक्षा दी जानी चाहिए। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यौन शिक्षा पाठ्यक्रम को सीनियर सेकेंडरी विद्यालयों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए, ताकि बच्चों और किशोरों को यौवन के साथ आने वाले हार्मोनल बदलावों के बारे में जागरूक किया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे 15 साल के एक किशोर को जमानत देते हुए ये टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने आरोपी को नाबालिग बताते हुए उसे किशोर न्याय बोर्ड की ओर से निर्धारित शर्तों के तहत जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। किशोर पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) और (पॉस्को) अधिनियम की धारा-6 (गंभीर यौन हमला) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
आरोपी को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि बच्चों को यौन शिक्षा छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए, न कि कक्षा नौ से। यह संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए सुधारात्मक उपाय करें, ताकि बच्चों की प्यूबर्टी के बाद शरीर में होने वाले बदलावों और उनसे जुड़ी देखभाल और बीवी सावधानियों के बारे में जानकारी मिल सके।’’





