
दिवाली से पहले बड़ा फैसला; दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बनाने की इजाजत, सुप्रीम कोर्ट ने शर्तें भी लगाईं
संक्षेप: अदालत ने यह शर्त रखी है कि ये निर्माता दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में अगले आदेश तक किसी भी प्रकार के पटाखों की बिक्री नहीं कर सकेंगे। निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए हलफनामा देना होगा कि वे दिल्ली-NCT में पटाखों की बिक्री नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से पहले पटाखों को लेकर शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में उन निर्माताओं को ग्रीन पटाखे बनाने की इजाजत दे दी, जिनके पास नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) से प्रमाणित सर्टिफिकेट हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह शर्त रखी है कि ये निर्माता दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में अगले आदेश तक किसी भी प्रकार के पटाखों की बिक्री नहीं कर सकेंगे। निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए हलफनामा देना होगा कि वे दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री नहीं करेंगे। यह फैसला वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के मकसद से लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह हितधारकों के साथ मिलकर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध से संबंधित समाधान तैयार करे और इसे 8 अक्टूबर तक कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे। इससे पहले, एससी ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध को चुनिंदा तरीके से लागू करने पर सवाल उठाया था। इसने कहा था कि अगर स्वच्छ हवा राष्ट्रीय राजधानी के कुलीन निवासियों का अधिकार है, तो यह पूरे देश के नागरिकों को भी मिलना चाहिए। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जज विनोद चंद्रन की पीठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों के विनियमन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
क्या NCR के शहर ही साफ हवा के हकदार?
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर एनसीआर के शहर स्वच्छ हवा के हकदार हैं, तो दूसरे शहरों के लोग क्यों नहीं? जो भी नीति होनी चाहिए, वह अखिल भारतीय स्तर पर होनी चाहिए। हम केवल इसलिए दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते कि वे देश के कुलीन नागरिक हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं पिछली सर्दियों में अमृतसर में था और वहां प्रदूषण दिल्ली से भी बदतर था। अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो उन्हें पूरे देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’ सीनियर वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि कुलीन वर्ग अपना ख्याल खुद रखता है। प्रदूषण होने पर वे दिल्ली से बाहर चले जाते हैं। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त करने को कहा।





