AMU की कुलपति नईमा खातून को सुप्रीम राहत, कोर्ट ने नियुक्ति को लेकर दायर याचिका की खारिज
Supreme Court: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। उनकी नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी नियुक्ति को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी की पहली महिला कुलपति के रूप में उनकी नियुक्ति में किसी भी तरीके से हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति जे.के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने प्रोफेसर मुजफ्फर उरुज रब्बानी और प्रोफेसर फैजान मुस्तफा द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में प्रोफेसर की नियुक्ति को बरकरार रखा था।
गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलपति की नियुक्ति के मामले में पहले मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्याय मूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने सुनवाई की थी। पीठ ने प्रोफेसर खातून को नियुक्ति के लिए चुनने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में प्रोफेसर खातून के पति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज की उपस्थिति पर भी सवाल उठाया था। हालांकि इसके बाद न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। उनका कहना था कि पटना हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने प्रोफेसर मुस्तफा को सीएनएलयू का कुलपति नियुक्त किया था। ऐसे में अगर वह इस केस की सुनवाई करते हैं, तो यह सही नहीं होगा। हालांकि इस मामले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र सरकार को न्यायमूर्ति चंद्रन के इस केस की सुनवाई करने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने खुद को इस केस से अलग कर लिया। इसके बाद यह मामला वर्तमान पीठ के पास चला गया।




