Hindi NewsIndia NewsSupreme Court clarified mere presence at spot does not mean someone is guilty of the crime
घटनास्थल पर मौजूद हैं इसका मतलब ये नहीं कि अपराधी बन गए, सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट

घटनास्थल पर मौजूद हैं इसका मतलब ये नहीं कि अपराधी बन गए, सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट

संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले को लेकर जेल में बंद 12 आरोपियों को रिहा कर दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि महज घटनास्थल पर मौजूदगी इसका प्रमाण नहीं है कि शख्स गैरकानूनी रूप से एकत्र भीड़ का हिस्सा है।

Wed, 8 Oct 2025 12:56 AMJagriti Kumari भाषा
share Share
Follow Us on

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि घटनास्थल पर उपस्थिति मात्र किसी व्यक्ति को गैरकानूनी रूप से एकत्र भीड़ का हिस्सा नहीं बनाती, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि उसका भी उद्देश्य दोषियों के समान था। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान घटनास्थल पर मौजूद लोगों को सिर्फ उनकी उपस्थिति के आधार पर दोषी करार दिए जाने से रोकने के लिए अदालतों के लिए कुछ मानदंड भी निर्धारित किए।

LiveHindustan को अपना पसंदीदा Google न्यूज़ सोर्स बनाएं – यहां क्लिक करें।

जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने 1988 में बिहार के एक गांव में हत्या और गैरकानूनी रूप से एकत्र होने के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे 12 दोषियों को बरी करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा है कि जहां बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ आरोप लगाए जाते हैं, वहां अदालतों को साक्ष्यों की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए, खासकर अगर रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत अस्पष्ट हों।

उद्देश्य साबित करना जरूरी

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149 का हवाला भी दिया जिसके मुताबिक एक समान उद्देश्य के लिए गैरकानूनी रूप से इकट्ठा हुई समूह में मौजूद हर व्यक्ति किए गए अपराध का दोषी है। पीठ ने कहा, ‘‘महज घटनास्थल पर मौजूदगी से ही कोई व्यक्ति गैरकानूनी भीड़ का सदस्य नहीं हो जाता, जब तक कि यह साबित ना हो जाए कि आरोपी का भी उस जमावड़े में कोई साझा उद्देश्य था। महज एक दर्शक, जिसकी कोई विशेष भूमिका नहीं बताई गई है, आईपीसी की धारा 149 के दायरे में नहीं आएगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिस्थितियों के माध्यम से यह साबित करना होगा कि आरोपी एक ही मकसद के साथ इकट्ठा हुए थे।

मानदंड निर्धारित

पीठ ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सावधानी के तौर पर तमाशबीन की उपस्थिति मात्र के आधार पर दोषी ठहराए जाने से बचाने के लिए मानदंड निर्धारित किए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर कानून को संक्षेप में इस प्रकार कहा जा सकता है कि जहां बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ समान आरोप हैं, वहां अदालत को अस्पष्ट या सामान्य साक्ष्य के आधार पर सभी को दोषी ठहराने से पहले बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।

ये भी पढ़ें:ऐसे कैसे बेल दे दिया? निचली अदालतों पर भड़का SC; जजों को ट्रेनिंग पर भी भेजा
ये भी पढ़ें:डांगियावास हत्याकांड: 19 साल पहले मिली थी सिर कुचली लाश, तीनों आरोपी SC से बरी

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, अदालतों को कुछ ठोस और विश्वसनीय सामग्री की तलाश करनी चाहिए जो आश्वासन दे। केवल उन लोगों को दोषी ठहराना उपयुक्त है जिनकी उपस्थिति न केवल प्राथमिकी के समय से लगातार स्थापित होती है, बल्कि जिनके द्वारा किए गए प्रत्यक्ष कृत्यों का भी पता चलता है जो गैरकानूनी रूप से एकत्र होने के समान उद्देश्य को बढ़ावा देते हैं।’’

Jagriti Kumari

लेखक के बारे में

Jagriti Kumari
जागृति ने 2024 में हिंदुस्तान टाइम्स डिजिटल सर्विसेज के साथ अपने करियर की शुरुआत की है। संत जेवियर कॉलेज रांची से जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन करने बाद, 2023-24 में उन्होंने भारतीय जन संचार संस्थान नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया। खबरें लिखने के साथ साथ ग्राउंड रिपोर्टिंग का शौक है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय संबंध, खेल और अर्थव्यवस्था की खबरों को पढ़ना पसंद है। मूल रूप से रांची, झारखंड की जागृति को खाली समय में सिनेमा देखना और सिनेमा के बारे में पढ़ना पसंद है। और पढ़ें
इंडिया न्यूज़ , विधानसभा चुनाव और आज का मौसम से जुड़ी ताजा खबरें हिंदी में | लेटेस्ट Hindi News, बॉलीवुड न्यूज , बिजनेस न्यूज , क्रिकेट न्यूज पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।