
हमें अपने संविधान पर गर्व है, पड़ोस के हालात देखिए; SC ने किया नेपाल और बांग्लादेश का जिक्र
संक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक केस की सुनवाई के दौरान नेपाल और बांग्लादेश में हुए तख्तापलट और हिंसक आंदोलन का जिक्र किया है। अदालत ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। आप देखिए कि पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश में कैसे हालात बने हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक केस की सुनवाई के दौरान नेपाल और बांग्लादेश में हुए तख्तापलट और हिंसक आंदोलन का जिक्र किया है। अदालत ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। आप देखिए कि पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश में कैसे हालात बने हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने यह टिप्पणी राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए बिल पास करने पर टाइमलाइन तय किए जाने को लेकर की। इस मामले में राष्ट्रपति की ओर से रेफरेंस दाखिल किया गया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और कई दिनों से लंबी बहस जारी है।

आज एक बार फिर से इस मामले में दिलचस्प बहस देखने को मिली। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यपालों की ओर से विधेयक रोके जाने की जानकारी दी तो वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि 2014 के बाद ऐसे मामले बढ़ गए हैं और उससे पहले ऐसा होता ही नहीं था। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं तो आपकी सरकार की भी तारीफ कर रहा हूं। 1970 के बाद से अब तक डेटा मैंने पेश किया है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि आपको तारीफ करनी ही चाहिए क्योंकि 2014 से पहले ऐसा हुआ भी नहीं था। इस पर मेहता ने कहा कि मैंने तो सटीक डेटा दिया है कि कैसे संविधान काम करता है।
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि राज्यपाल केंद्र सरकार का एजेंट नहीं होता है। वह एक न्यूट्रल संवैधानिक पदाधिकारी होता है, जो निष्पक्ष होकर ही काम करता है। वह संविधान के अनुसार ही काम करता है और उसके अनुसार फैसले लेने में राज्य सरकार को मदद करता है। वह राज्य सरकार और केंद्र के बीच किसी भी तरह के मतभेद में अहम भूमिका अदा करता है।
उन्होंने कहा कि इस बात का तो कोई सवाल ही नहीं है कि गवर्नर केंद्र सरकार के डाकिया के तौर पर काम कर करता है। राज्यपालों से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वे राज्य सरकार की नीतियों को लागू करें या फिर पॉपुलर मैंडेट के अनुसार काम करें। संविधान में राज्यपाल का रोल स्पष्ट तौर पर बताया गया है और वह राजनीतिक तौर पर भी अपनी बात रखते सकते हैं।





