फांसी से एक दिन पहले आतंकी कसाब ने कहा था- 'तुम जीत गए, मैं हार गया'
26/11 मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब ने फांसी दिए जाने से एक दिन पहले कहा था- 'आप जीत गए, मैं हार गया।' ये अल्फाज उसने सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रमेश महाले को कहे थे।...
26/11 मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब ने फांसी दिए जाने से एक दिन पहले कहा था- 'आप जीत गए, मैं हार गया।' ये अल्फाज उसने सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रमेश महाले को कहे थे। भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत 80 मामलों में दोषी ठहराए गए कसाब ने अपनी फांसी से एक दिन पहले यह बात रमेश महाले से की थी। 26 नवंबर, 2008 को जब कसाब पकड़ा गया तो सबसे पहले जिन पुलिस अधिकारों ने कसाब से पूछताछ की थी, उनमें महाले भी शामिल थे। महाले 26/11 आतंकी हमले के मुख्य जांच अधिकारी थे और 2008 में मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट 1 के हेड थे।
लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी अजमल आमिर कसाब क्राइम ब्रांच की कस्टडी में 81 दिन रहा था। उसके बाद उसे आर्थर रोड जेल में शिफ्ट किया गया था।
2013 में सर्विस से रिटायर हुए महाले ने बताया कि जब तक कसाब को कोर्ट का डेथ वारंट नहीं थमाया गया तब तक उसको यकीन था कि वह भारतीय कानून से बच जाएगा।
महाले ने बताया 'जब मैं एक दिन कसाब से पूछताछ कर रहा था तो उसने कहा था कि उसको गुनाहों के लिए फांसी दी जा सकती है लेकिन भारतीय न्यायिक व्यवस्था में फांसी की सजा देना मुमकिन नहीं है। तब कसाब ने दलील दी थी कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को दोषी करार दिए जाने के 8 साल बाद भी फांसी नहीं दी गई है।'
महाले उस दिन यह बात सुनकर चुप रह गए थे। बाद में अफजल गुरू को भी फांसी दे दी गई थी।
कसाब का डेथ वारंट
इस घटना के करीब चार साल बाद 11 नवंबर, 2012 को स्पेशल कोर्ट ने कसाब का डेथ वारंट जारी किया। उसके बाद तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डॉ सत्यपाल सिंह ने कसाब की फांसी के लिए उसे पुणे की यरवदा जेल में जब भेजने का फैसला किया तो जिस स्पेशल टीम को वहां तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, उसमें महाले भी शामिल थे। कसाब को 21 नवंबर को फांसी दी जानी थी। 19 नवंबर की रात जब शिफ्ट करने के लिए महाले, कसाब की सेल में पहुंचे तो उन्होंने कसाब से कहा कि याद है? चार साल भी नहीं हुए... (जब कसाब ने कहा था कि उसे हिन्दुस्तान में फांसी नहीं होगी)। उस समय कसाब ने जवाब दिया था, 'आप जीत गए, मैं हार गया।'