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Hindi News देश'आपका लीगल नोटिस है', साइबर ठगों ने उड़ा दिए 60 लाख रुपये; ओटीपी भी नहीं मांगा

'आपका लीगल नोटिस है', साइबर ठगों ने उड़ा दिए 60 लाख रुपये; ओटीपी भी नहीं मांगा

अहमदाबाद की एक महिला के पास फोन आया कि उनका कोई लीगल नोटिस आया है और डाउनलोड करने के लिए दो प्रेस करें। इसके बाद उनके अकाउंट से लाखों रुपये उड़ गए।

'आपका लीगल नोटिस है', साइबर ठगों ने उड़ा दिए 60 लाख रुपये; ओटीपी भी नहीं मांगा
Ankit Ojhaलाइव हिन्दुस्तान,अहमदाबादSun, 28 Jul 2024 02:25 PM
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फ्रॉड 'लीगल नोटिस' के जाल में फंसाकर साइबर ठगों ने एक बुजुर्ग महिला की जिंदगीभर की कमाई को चूना लगा दिया। जानकारी के मुताबिक महिला के पास एक फोन आया था और बताया गया कि उसके नाम से एक लीगल नोटिस है। उसने बताया कि ज्यादा जानकारी के लिए उन्हें 2 दबाना होगा। इसके बाद आईवीआर कॉल शुरु हो गई और लीगल नोटिस डाउनलोड करने के लिए वह निर्देशों को मानती चली गईं। 

साइबर सेल के एक अधिकारी ने बताया, उन्होंने जब मोबाइल में अंक दबाए तो ट्रांजैक्शन अपने आप शुरू हो गए। फोन नंबर से जुड़ा उनका बैंक अकाउंट खाली हो गया। जानकारी के मुताबिक महिला के अकाउंट में करीब 60 लाख रुपये थे।  महिला ने बताया  कि उन्होंने किसी वेब लिंक पर नहीं क्लिक किया था। बता दें कि ठगों ने साइबर ठगी का नया तरीका निकाला है। अपराधी लोगों के पास किसी सरकारी एजेंसी के नाम पर फोन करते हैं। इसके अलावा कई बार टेलीकॉम कंपनी या फिर कुरियर कंपनी का बहाना करके भी फोन किया जाता है। इसके बाद वे खास नंबर दबवाकर फोन को से ट्रांजैक्शन करवा लेते हैं। 

मामले की जांच करने वाले एक अधिकारी ने बताया. खास बटन दबाने पर एक लिंक क्रिएट हो जाता है जिससे मोबाइल को दूर से कंट्रोल किया जा सकता है। मोबाइल के ऐक्सेस मिलने के बाद अपराधी अलग-अलग अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं। जब तक पीड़ित को पता चलता है उसका अकाउंट खाली हो जाता है। उन्होंने कहा कि ट्रांजैक्शन के लिए ओटीपी जरूरी होता है लेकिन जब मोबाइल का कंट्रोल ही अपराधियों के हाथ में होता है तो यह कोई कठिन काम नहीं है। उन्हें आसानी से ओटीपी भी मिल जाता है। 

क्यों आईवीआर का सहारा लेते हैं साइबर ठग
दरअसल कई बार जब कोई इंसान ठगी के लिए कॉल करता है तो लग पहचान जाते हैं। हालांकि आईवीआर कॉल ज्यादा विश्वसनीय लगती है और लोगों को इसपर आसनी से भरोसा हो जाता है। ऐसे में लोगों को इस तरह की कॉल का जवाब भी सोच समझकर ही देना चाहिए। कई बार ऐसा भी बोता है कि ठग अधिकारी बनकर फोन करता है और एक ऐप इंस्टॉल करने  के लिए कहता है। इसके बाद वह फोन पर कंट्रोल कर लेता है। इस तरह से साइबर ठग अब फ्रॉड के नए तरीके निकाल चुके हैं जिससे बचने का केवल एक ही तरीका है  और वह है सावधानी।