व्हाट्सएप: डाटा चोरी हुआ तो आप कंपनी और सरकार से मांग सकते हैं हर्जाना
फेसबुक, ट्विटर के बाद व्हाट्सएप पर जासूसी के ताजा मामले ने सोशल साइट के यूजर असहाय महसूस कर रहे हैं। लेकिन यूजर चाहें तो निजी जानकारी लीक होने पर कोर्ट में इन कंपनियों को घसीटकर हर्जाना मांग सकते...
फेसबुक, ट्विटर के बाद व्हाट्सएप पर जासूसी के ताजा मामले ने सोशल साइट के यूजर असहाय महसूस कर रहे हैं। लेकिन यूजर चाहें तो निजी जानकारी लीक होने पर कोर्ट में इन कंपनियों को घसीटकर हर्जाना मांग सकते हैं। सरकार को भी जवाबदेह ठहरा सकते हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन जैसे कई देशों में इन इंटरनेट कंपनियों को ग्राहकों की निजता से छेड़छाड़ के मामले में अरबों रुपये का हर्जाना देना भी पड़ा है। साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल के अनुसार, आईटी कानून 2011 की धारा 75 के तहत स्पष्ट है कि कोई टेक कंपनी भारत में हो या नहीं हो, लेकिन अगर देश के अंदर कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य माध्यमों पर सेवाएं दे रही है तो उसकी जवाबदेही बनती है।
कानून की धारा 43 और 43 ऐसी कंपनियों से हर्जाना मांगा जा सकता है। क्लास सूट एक्शन के तहत के तहत सभी पीड़ित यूजर को हर्जाना देने के लिए कंपनी बाध्य हो सकती है। वहीं साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ मोनिक मेहरा का कहना है कि जवाबदेही के लिए कड़े कानून के साथ यूजर को खुद सतर्क रहने की जरूरत है।
पिछले साल मिला था निजता का अधिकार
पिछले साल उच्चतम न्यायालय ने जस्टिस पुट्टास्वामी बनाम संघ मामले में जीवन जीने के अधिकार में निजता के अधिकार को शामिल माना था। अगर आपके इस अधिकार का उल्लंघन होता है तो सरकार से राहत के लिए रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं। हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 और उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 32 के तहत यह मामला दायर किया जा सकता है।
सोशल साइट जवाबदेही से बच नहीं सकतीं
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका या किसी अन्य देश में मुख्यालय या सर्वर होने की दलील देकर इंटरनेट कंपनियां या सोशल मीडिया साइट जवाबदेही से बच नहीं सकतीं। आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत व्हाट्सएप और इंटरनेट कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे यूजर की निजता को लेकर पूरी सावधानी बरतें।
हालांकि उपभोक्ता को खुद सतर्क रहने की भी जरूरत है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ मोनिक मेहरा के मुताबिक, हम किसी इंटरनेट कंपनी का कोई भी सॉफ्टवेयर, एप या फीचर इंस्टाल करते हैं या साइन इन करते हैं, तो उनसे जुड़ी तमाम नियम-शर्तें होती हैं, जिन्हें कोई नहीं पढ़ता। इन्हीं की आड़ में कंपनियां जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करती हैं।
ये सावधानियां बरतें
1. एप अपडेट रखें
सभी ऑपरेटिंग सिस्टम पर एप को अपडेट करें और बेहतर है कि ऑटो अपडेट मोड पर रखें, जो वाईफाई या इंटरनेट पर अपडेट हो जाएगा। ये अपडेट सुरक्षा संबंधी खामियों को दूर करते हैं।
2. प्रमाणीकरण न भूलें
टू फैक्टर अथांटिकेशन भी सुरक्षा को बेहतर बनाता है। फिंगर प्रिंट, पासवर्ड, पिन सुरक्षा की अतिरिक्त लेयर देता है। व्हाट्सएप जैसी सोशल साइट, वॉलेट सभी में इसका इस्तेमाल करना बेहतर है।
3. अहम दस्तावेज हों तो एंटी वायरस
अगर आप सामान्य एप इस्तेमाल करते हैं तो प्ले स्टोर से अपडेट ही पर्याप्त है। लेकिन अगर कोई संवेदनशील या जरूरी फाइल या डाटा का इस्तेमाल करते हैं तो एंटी वायरस ले सकते हैं।
4. बिना समझें मंजूरी न दें
प्ले स्टोर से कोई एप डाउनलोड करते समय लोकेशन के अलावा एसएमएस, मीडिया, फोटो, कैमरा एक्सेस करने की मंजूरी मांगी जाती है। ध्यान दें कि क्या गेमिंग ज्यादातर एप में इसकी जरूरत है या नहीं। सामान्य एप पर तो कतई ये एक्सेस नहीं दें।
5. फाइल बैकअप को जानें
अगर आप व्हाट्सएप या किसी अन्य साइट के डाटा का बैकअप क्लाउड, जीमेल ड्राइव या अन्य जगहों पर लेते हैं तो थर्ड पार्टी डाटा ट्रांसफर होते ही इंटरनेट कंपनी की जवाबदेही खत्म हो जाती है। उससे व्हाट्सएप या अन्य का डाटा सुरक्षा से जुड़ा इनक्रिप्शन खत्म हो जाता है। जान लें कि क्या उस डाटा के बैकअप की जरूरत है।
भारत में दो महीने में बनेंगे नियम
भारत में भी हाल ही में मॉब लिचिंग, फेक न्यूज, आपत्तिजनक वीडियो के मामले में सोशल और वीडियो शेयरिंग साइट पर सवाल उठे हैं। सरकार ने ऐसी साइटों या एप के खिलाफ दो माह में नियम बनाने का वादा शीर्ष अदालत में किया है। सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को देखते हुए इसका नियमन करना जरूरी है।
जस्टिस श्रीकृष्णा की रिपोर्ट पर अमल का इंतजार
जस्टिस श्रीकृष्णा समिति ने डाटा सुरक्षा कानून का ड्राफ्ट बिल पिछले साल जुलाई में तैयार किया था। इसमें जासूसी को लेकर कड़े प्रावधानों का प्रस्ताव है। सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में ही किसी यूजर के डाटा के पड़ताल का अधिकार है।
----कस रहा शिकंजा-----
फेसबुक को भरने पड़े 35 हजार करोड़
1. अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग ने 18 जुलाई 2019 को यूजर का डाटा लीक करने के मामले में 35 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह ब्रिटिश फर्म कैंब्रिज एनालिटिका से 8.7 करोड़ यूजर का डाटा देने का मामला था। डाटा लीक से होने प्रभावित यूजर ये मामला आयोग के समक्ष ले गए थे।
2. ब्रिटेन ने 25 अक्तूबर 2019 को यूजर का डाटा सुरक्षित न रख पाने पर 45 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इससे दस लाख यूजर प्रभावित हुए थे।
3. ट्विटर ने नौ अक्तूबर 2019 को माना कि लाखों भारतीय समेत करीब 1.5 करोड़ यूजर के ईमेल, फोन नंबर आदि जानकारी लीक हुई। कंपनी के खिलाफ मामला लंबित है।
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टिकटॉक के खिलाफ अमेरिका में जांच शुरू
अमेरिकी सरकार ने चीन की वीडियो एप टिकटॉक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा जांच शुरू की है। कई सांसदों ने टिकटॉक की सेंसरशिप और उसके डाटा एकत्र करने पर सवाल उठाए थे। भारत में उसके करोड़ों यूजर हैं। टिकटॉक ने कहा कि लोगों और उसके नियामकों का विश्वास हासिल करना उसकी प्राथमिकता है।