दुनिया की सबसे खतरनाक असाल्ट राइफल AK-47 का विकल्प बनेगी AK-203
रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान रविवार को एक नई इबारत गढ़ेगा। दुनिया की सबसे खतरनाक असाल्ट राइफल एके-47 का अपग्रेड संस्करण एके-203 अब आयुध निर्माणियों में तैयार होगी।...
रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान रविवार को एक नई इबारत गढ़ेगा। दुनिया की सबसे खतरनाक असाल्ट राइफल एके-47 का अपग्रेड संस्करण एके-203 अब आयुध निर्माणियों में तैयार होगी। इसके लिए रविवार को आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) और रूसी कंपनी कंसर्न क्लाश्निकोव के बीच औपचारिक करार होगा। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में यह ऐतिहासिक अनुबंध होगा।
भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम में लगभग सात लाख कलाश्निकोव असाल्ट राइफलों का निर्माण होगा। नई असाल्ट राइफल का प्लांट अमेठी में लगेगा। फील्ड गन फैक्ट्री कानपुर व कोरबा और स्माल आर्म्स फैक्ट्री मुख्य रूप से राइफल के कंपोनेंट्स बनाएंगी। वर्कलोड के संकट का सामना कर रहीं आर्डिनेंस फैक्ट्रियों को भरपूर काम मिलेगा। इस करार के तहत रूस की कंसर्न कलाश्निकोव और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड मिलकर एके-47 की तीसरी पीढ़ी की राइफल एके-203 तैयार करेंगे।
यह समझौता रक्षा मंत्रालय के उस प्रस्ताव के तहत हो रहा है, जिसमें मंत्रालय ने साढ़े छह लाख राइफल की खरीद के लिए 'अभिरुचि पत्र' मांगे थे। ये राइफल पूरी तरह 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत भारत में ही बनाई जाएंगी। करार में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास मेजॉरिटी शेयर 50.5 फीसदी रहेगा, जबकि रूस के पास 49.5 फीसदी शेयर होंगे।
75 हजार हर साल बनेंगी
ओएफबी के उप महानिदेशक गगन चतुर्वेदी के मुताबिक अभी हर साल 75 हजार एके 203 बनाई जाएंगी। ये ब्रह्मोस की तरह का संयुक्त उपक्रम मॉडल है। इसे न सिर्फ बनाया जाएगा, बल्कि भारत से निर्यात भी किया जाएगा। 24 महीने में इसका स्वदेशीकरण किया जाएगा।
एके 47 की तुलना में ज्यादा सटीक
- एके 203 का मैकेनिज्म एके-47 की तरह ही है, लेकिन नई राइफल एके 47 की तुलना में ज्यादा सटीक मार करेगी। इसकी एक्यूरेसी सौ फीसदी होगी।
- नई असाल्ट राइफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमीऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे। एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां चलती रहेंगी।
- नई असाल्ट राइफल की लंबाई करीब 3.25 फुट होगी। गोलियों से भरी राइफल का वजन लगभग 4 किलोग्राम होगा।
- एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकेंगी यानि एक सेकंड में दस गोलियां। इसके लिए एके-203 के गैस चैम्बर और स्प्रिंग को पहले से बेहतर किया जाएगा।
- इसरी रेंज 400 मीटर तक होगी और कोई नया सिपाही भी इससे अचूक निशाना लगा सकेगा।
- एके-203 महज आठ से नौ पुर्जों से मिलकर बनी होगी और इसे मात्र एक मिनट में दोबारा संगठित किया जा सकेगा।