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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: सोशल मीडिया की सनक बना रही मनोरोगी

सोशल मीडिया पर छाए रहने की सनक युवाओं को मनोरोगी बना रही है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ही नहीं टिकटॉक, लाइक जैसे वीडियो एप भी युवाओं के दिलोदिगाम पर हावी हो चुके हैं। एम्स के विशेषज्ञों का...

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: सोशल मीडिया की सनक बना रही मनोरोगी
नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाताThu, 10 Oct 2019 05:27 AM
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सोशल मीडिया पर छाए रहने की सनक युवाओं को मनोरोगी बना रही है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ही नहीं टिकटॉक, लाइक जैसे वीडियो एप भी युवाओं के दिलोदिगाम पर हावी हो चुके हैं। एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर दो घंटे से ज्यादा बिताना मनोरोग का संकेत है।

एम्स में 'बिहेवियरल एडिक्शन क्लीनिक' के डॉक्टर यतन पाल बलहारा का कहना है कि वेब सीरीज, गेमिंग और स्मार्टफोन से लोकप्रियता और पैसा कमाने का चस्का बीमार बना रहा है। नतीजतन युवा अवसाद, कुंठा और भूलने जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। एम्स के सर्वे में इसकी पुष्टि हुई है। दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले 20% बच्चे और युवा मनोरोगों के शिकार हैं। इनमें ज्यादातर 14 से 24 साल के लोग हैं।

सोशल साइट का गहरा असर: विशेषज्ञ मानते हैं कि सोशल मीडिया पोस्ट पर लाइक, कमेंट, व्यू न आने से यूजर्स में नकारे जाने का भाव पैदा होता है। इससे भावनात्मक बोझ बढ़ता है। वे दोस्तों के सोशल मीडिया कनेक्शन देख सोचते हैं कि दूसरे लोग ज्यादा खुश हैं।

आत्महत्याओं पर चिंता: इस साल डब्ल्यूएचओ ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य प्रोत्साहन और आत्महत्या रोकथाम को थीम बनाया है। हर साल दुनिया में आठ लाख लोग खुदकुशी करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 21वीं सदी में जीवनशैली में आ रहे बदलाव बड़ा कारण हैं।

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