ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशवर्ल्ड फूड डे स्पेशल: मूफार्म की 'व्हाइटटेक क्रांति' से पूरी होगी किसान-पशुपालकों की जरूरत

वर्ल्ड फूड डे स्पेशल: मूफार्म की 'व्हाइटटेक क्रांति' से पूरी होगी किसान-पशुपालकों की जरूरत

खाद्यान्न और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए देश में विभिन्न प्रयास हो रहे हैं। बदलते दौर में तकनीक का इस्तेमाल इसमें एक नया अध्याय लिखता नजर आ रहा है। दूध उत्पादन की बात की जाए तो मूफार्म की...

वर्ल्ड फूड डे स्पेशल: मूफार्म की 'व्हाइटटेक क्रांति' से पूरी होगी किसान-पशुपालकों की जरूरत
एजेंसी ,नई दिल्लीMon, 14 Oct 2019 03:26 PM
ऐप पर पढ़ें

खाद्यान्न और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए देश में विभिन्न प्रयास हो रहे हैं। बदलते दौर में तकनीक का इस्तेमाल इसमें एक नया अध्याय लिखता नजर आ रहा है। दूध उत्पादन की बात की जाए तो मूफार्म की 'व्हाइटटेक क्रांति' बदलाव की नई इबारत लिखने को तैयार है। इसके शुरुआती परिणाम नजर भी आने लगे हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने में भारत नंबर वन है। इसके बावजूद यहां डेयरी किसानों के हालात अच्छे नहीं हैं। भारत दूध उत्पादन में तो सबसे आगे है, लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन में सबसे पीछे। भारत में दूध उत्पादन का औसत महज तीन लीटर प्रति पशु है, जबकि यही औसत ऑस्ट्रेलिया में 16 और इजराइल में 36 लीटर प्रति पशु है। प्रति पशु दूध उत्पादन में भारत को अगुवा बनाने की दिशा में काम कर रहे मूफार्म के संस्थापक परम सिंह ने बताया कि हम दूध उत्पादन में सबसे आगे इसलिए हैं कि हमारे पास 30 करोड़ पशु हैं। पशु और पशु पालकों के उत्थान के लिए यहां काम तो बहुत हो रहे हैं, लेकिन उन कामों का नतीजा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने कहा कि मू-फार्म किसानों की आय में कम से कम 20 फीसदी की वृद्धि करने के लिए 2020 तक भारत के दो लाख डेयरी किसानों को प्रशिक्षित करेगी। वह पशु पोषण जैसे क्षेत्रों में किसानों के कौशल को बढ़ाने के लिए मदद करेगी। मूफार्म का कहना है कि वह तकनीक के माध्यम से श्वेत तकनीक क्रांति ला रहे हैं।
 परम सिंह का कहना है कि पंजाब और महाराष्ट्र के बाद यूपी और राजस्थान में काम प्रगति पर है। भविष्य में बिहार और हरियाणा में बड़े पैमाने पर प्रवेश करने की योजना है और इसे विभिन्न इको-सिस्टम के साथ जोड़कर डेयरी पारिस्थितिकी तंत्र को डिजिटल बनाना है। महाराष्ट्र के किसानों के साथ अभी वह काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मूफार्म की 'व्हाइटटेक क्रांति' का उद्देश्य एक बड़े डेटा विश्लेषण पर निर्भर होकर पशु पालन और दूध उत्पादन में उत्पादकता और एकरूपता लाने के लिए सही समाधान ढूंढना है, ताकि डेयरी कृषि उद्योग का तकनीकी करण किया जा सके। इस टेक्नोलॉजी में फार्म व मवेशियों से सम्बंधित विशिष्ट डेटा सम्मिलित है जिसमें नस्ल, रोग, टीकाकरण, उपज के साथ साथ सफल कैल्विंगव हीट लक्षणों जैसे महत्वपूर्ण कारक शामिल है। छोटे धारक डेयरी किसानों के पास ई-लर्निंग वीडियो तक आसान पहुंच होती है जो मवेशियों के जुड़े अलर्ट भी जारी करते हैं, जिससे किसानों को उनके डेयरी और मवेशी प्रबंधन के लिए हर एककदम पर मदद मिलती है। परम सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी ने हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर अर्थ ग्रांटको जीता है और मशीन लर्निंग का उपयोग करके कैमरा-लैस मास्टिटिस डिटेक्शन सुविधा विकसित कर रहा है। मूफार्म ने ऐप में बनी मोबाइल  कैमरा का उपयोग करके मवेशियों की पहचान करने के लिए फेस रिकग्निशन फीचर विकसित की है जो मवेशी की पहचान में अभूतपूर्व कदम साबित हो सकता है। इसने 95.7 फीसदी सटीकता के साथ फेस रिकग्निशन मॉडल का परीक्षण किया है और अब 100 फीसदी सटीकता प्राप्त करने कालक्ष्य कंपनी ने निर्धारित किया है। यह सुविधा बीमा मेंधोखाधड़ी के जोखिमको भी कम करता है और किसानों के साथ-साथ बीमा कंपनियों को पशुबीमा लेने के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहन देता है। इस तकनीक को ग्लोबल इंश्योरटेक चैलेंज में विश्व बैंक से पुरस्कार भी मिला है।

तकनीक के सहारे कृत्रिम गर्भाधान की योजना
दरअसल खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के पशुधन को भी मजबूत करना जरूरी है। इसके लिए मूफार्म ने कृत्रिम गर्भाधान की भी योजना तैयार की है। मूफार्म भारत के युवाओं के एक बड़े नेटवर्क को ग्राम स्तर के उद्यमी के तौर पर शामिल करना चाहता है ताकियह नेटवर्क मवेशियों के पोषण, डिजिटल साक्षरता, और कृषि कौशल पर किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने में मददगार साबित हो और आगे चलकर उत्पादित दूध की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार कर सके। इससे जाहिर है कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो सकेगी। टेक्नोलॉजी के ट्रान्सफर और डिजिटल व कृषि साक्षरता केविस्तार के प्रतिउनका ध्यान वविश्वास दोनों मजबूती से जुड़े हैं। इसके पास कृत्रिम गर्भाधान श्रमिकों को एकीकृत करने की योजना भी है, ताकि भौगोलिय दशा में कोई भी अहम्न छूटे जिससे यह डेयरी किसानों को विश्वसनीय सेवाएं प्रदान कर सके और उनकी दूध उत्पादकता व आय बढ़ाने के साथसाथ लागत कम करने में भी मदद कर सके।

उपभोक्ताओं का भी होगा बड़ा लाभ
ऐसा नहीं है कि इस तकनीक से केवल किसानों को ही फायदा होगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी फायदा है। भविष्य में इस तकनीक से दूध की गुणवत्ता में सुधार आएगा, दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा और उपभोक्ताओं को भी उचित मूल्य पर अच्छा दूध मिल सकेगा। परम सिंह का कहना है कि मूफार्म ने इस सेक्टर से जुड़े तमाम बड़े घरानों और सरकारों को अपील की है कि वह श्वेत तकनीक क्रांति में हाथ मिलाएं और इसका मानकीकरण करें ताकि निर्यात बढ़ सके और किसानों और उपभोक्ताओं के लिए उचित बाजार स्थापित हो सके।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें