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सर्दियों का असर: अंडे की कीमत में इजाफा, जानिए क्यों बढ़ गए दाम

मूडिज की पिछले दिनों आई रिपोर्ट में कुछ खाद्य पदार्थ की कीमतों में इजाफे की बात कही गई थी। उन खाद्य पदार्थों में अंडा भी शामिल था। आज सुबह उठते ही खबर मिली अंडे की कीमत में इजाफा हो गया। ठंड आते ही...

सर्दियों का असर: अंडे की कीमत में इजाफा, जानिए क्यों बढ़ गए दाम
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान Mon, 20 Nov 2017 04:42 PM
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मूडिज की पिछले दिनों आई रिपोर्ट में कुछ खाद्य पदार्थ की कीमतों में इजाफे की बात कही गई थी। उन खाद्य पदार्थों में अंडा भी शामिल था। आज सुबह उठते ही खबर मिली अंडे की कीमत में इजाफा हो गया। ठंड आते ही अंडे की कीमत में एकदम से उछाल आ गया। अंडे के दाम इतने बढ़ गए कि चिकन की कीमत को भी पीछे छोड़ दिया है। कुछ दिनों पहले तक जो अंडा 5 रुपए में मिल रहा था अब उसका दाम 7 रुपए हो गया है। रिटेल में अंडे की कीमत 6-7 रुपए हो गए। पिछले छह महीनों में अंडे की कीमतों में ये बड़ा उछाल है।

पूणे में किसान 100 अंडों की क्रेट को 585 रुपये में बेच रहे हैं। इसका मतलब है रिटेल में अंडा 6.5-7.5 रुपये की कीमत में मिल रहा है। बता दें कि पिछले छह महीनों में पुणे में 100 अंडों की क्रेट की कीमतों में बड़ा उछाल आया है, जो 375 रुपये से बढ़कर 585 रुपये तक पहुंच गई है। 

मंडी के अंडा बेचने वाले कहते हैं कि डिमांड बढ़ने से अक्सर कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। जबकि ब्रॉयलर दरों में कमी आती है क्योंकि आपूर्ति में वृद्धि होती है। 

राष्ट्रीय अंडे समन्वय समिति (एनईसीसी) के मुताबिक अंडे की मांग बढ़ रही है इसलिए इसकी कीमत में 15 फीसदी की तेजी आई है, सब्जियां महंगी हो रही है इसलिए अंडे की मांग बढ़ गई है। पिछले काफी दिनों से टमाटर की कीमत में भी उछाल है जो कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।

आपूर्ति कम होने से अंडा 4 रुपए महंगा हुआ

देशभर में अंडे की आपूर्ति कम होने से खुदरा बाजार में उसकी कीमत 4 से बढ़कर सात से साढ़े सात रपये प्रति अंडा तक हो गई है। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश कत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में यह कीमत ऊंची बने रहने के आसार हैं क्योंकि इस साल उत्पादन के 25 से 30 प्रतिशत कम रहने की संभावना है।

अंडों की कीमत में वद्धि होने की महत्वपूर्ण वजह कई पोल्ट्री (मुगीर्पालन) फार्मों का चालू वर्ष में अपने उत्पादन को टाना है, क्योंकि पिछले साल उन्हें बेहतर कीमत नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि पिछले साल के नुकसान की वजह से उत्पादकों के बीच फिर से कीमत कम मिलने एवं पशु देखभाल कार्यकतार्ओं के डर के चलते पोल्ट्री फार्म ने अपने उत्पादन को कम किया है और कुछ ने तो अपने फार्म बंद भी किए हैं।

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