अब लौटेंगे किसान? राज्यसभा से भी पारित हुआ कृषि कानून वापसी बिल, शीत सत्र के पहले ही दिन PM मोदी का वादा पूरा
कृषि कानूनों की वापसी को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी का वादा शीत सत्र के पहले ही दिन पूरा हो गया है। लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी कृषि कानूनों की वापसी का विधेयक पारित हो गया है। विपक्ष के हंगामे के...
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कृषि कानूनों की वापसी को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी का वादा शीत सत्र के पहले ही दिन पूरा हो गया है। लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी कृषि कानूनों की वापसी का विधेयक पारित हो गया है। विपक्ष के हंगामे के बीच इस बिल को मंजूरी मिली है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही कानूनों की वापसी की औपचारिकता पूरी हो जाएगी। इन कानूनों की वापसी के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या किसान आंदोलनकारी अब घरों को लौट जाएंगे या फिर अब भी डटे रहेंगे। हालांकि राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं ने तत्काल वापसी की बात से इनकार किया है।
राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मुख्य मांग एमएसपी कानून है। उस पर सरकार कोई कार्यवाही या बातचीत करती नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि इस पर और कुछ अन्य मुद्दों पर सरकार आगे बढ़े तो फिर हम आंदोलन की वापसी पर विचार कर सकते हैं।
Amid ruckus in Upper House, the Farm Laws Repeal Bill 2021 passed in Rajya Sabha pic.twitter.com/m4JqZPeOCi
— ANI (@ANI) November 29, 2021
लोकसभा से भी पास हो चुका है बिल
इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों की वापसी से संबंधित विधेयक को आज लोकसभा में पेश किया गया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष के हगामे के बीच इसे सदन के पटल पर रखा। विपक्ष के हंगामे के बीच यह बिल लोकसभा से पास हो गया। लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस विधेयक पर सदन में चर्चा की मांग की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देश को संबोधित करते हुए इन कानूनों की वापसी की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि हम कहीं न कहीं कुछ किसानों को इसके फायदे समझाने में सफल नहीं हो पाए।
कृषि कानूनों पर कांग्रेस का संसद भवन परिसर में प्रदर्शन
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी के सांसदों ने विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। परिसर में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष एकत्रित कांग्रेसी सदस्य एक बड़ा बैनर फैलाए हुए थे जिसमें अंग्रेजी में लिखा था -हम काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं।