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बदहाल : क्या अब इंजीनियर बनना महज एक सपना रह जाएगा ? पढ़ें ये रिपोर्ट

आज भी हर माता पिता अपने बच्चे को इंजीनियर बनाने का ही सपना देखते हैं। किसी भी माता-पिता से पूछकर देंखे वो सबसे पहले आपसे यही कहेगा कि उसका बेटी या बेटा बड़ा होकर इंजीनियर बनेगा। यहीं नहीं, आज की युवा

Suman.agarwalलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSun, 21 May 2017 02:25 PM

बदहाल : क्या अब इंजीनियर बनना महज एक सपना रह जाएगा ? पढ़ें ये रिपोर्ट

बदहाल : क्या अब इंजीनियर बनना महज एक सपना रह जाएगा ? पढ़ें ये रिपोर्ट1 / 2

आज भी हर माता पिता अपने बच्चे को इंजीनियर बनाने का ही सपना देखते हैं। किसी भी माता-पिता से पूछकर देंखे वो सबसे पहले आपसे यही कहेगा कि उसका बेटी या बेटा बड़ा होकर इंजीनियर बनेगा। यहीं नहीं, आज की युवा पीढ़ी भी आईटी में ही अपना करियर ढूंढती है। लेकिन क्या उनका ये सपना अब अधूरा रह जाएगा।

पिछले कुछ दिनों से आईटी से जिस तरह की खबरें आ रही है उससे कहीं न कहीं इस क्षेत्र में नौकरी की अनिश्चयता भी बढ़ गई है। पहले हर किसी के मुंह में यहीं था हम इंजीनियर बनेंगे और आईटी में काम करेंगे, लेकिन हाल ही में देश की 7 दिग्गज कंपनियों की जो हालत सामने आई है, उससे लगता है आने वाले दिनों में इंजीनियर बनना एक सपना ही रह जाएगा। 

जी हां, कॉग्निजेंट के हिमांशु शर्मा ने बताया कि उनको अचानक अपनी कंपनी छोड़नी पड़ी। कंपनी को उनकी जरूरत नहीं है। उनके एचआर ने उनसे आईकार्ड लिया और बाहर निकाल दिया। ये अनुभव केवल हिमांशु का नहीं है, बल्कि इन दिनों लगातार बड़ी कंपनी, जैसे विप्रो, इंफोसिस, टेक एम और आईबीएम से भी ऐसी लेऑफ की खबरें आ रही हैं। किसी को कंपनी में काम करते हुए 5 साल हुए तो कोई नया है। लेकिन हर किसी को बगैर किसी नोटिस पीरियर्ड के लिए अचानक एक रीजन देकर निकाल दिया जा रहा है। 

छह महीने में निकाले गए 56 हजार इंप्लाइज

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पिछले हफ्ते तीन बड़ी कंपनियों ने अपने 1000 एंप्लाइज को बाहर निकाल दिया। कारण वशत वे कहते हैं कि कंपनी हर साल इस तरह से छंटनी करती है, कई बार ये पॉलिसी के अंतर्गत आता है और कई बार आर्थिक स्थिति और कई बार एंप्लाइज की परफॉरमेंस के आधार पर ऐसा किया जाता है। 

मिंट ने पिछले हफ्ते रिपोर्ट दी आईटी की दिग्गज कंपनियों ने इस साल यानी छह महीने के अंदर 56 हजार कर्मियों को बाहर निकाल दिया है। टेक एम और विप्रो ने 1 हजार और 600 कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। 

इस साल की शुरुआत में ही कंपनियों में जॉब की स्थिति का पता चल गया था। पिछले हफ्ते खबर आई कि कंपनियों अब आईटी कैंपस में प्लेसमेंट नहीं दे रही हैं। इस साल अब तक सबसे कम प्लेसमेंट हुई है। युवा तमाम सवाल कर रहे हैं, फेसबुक, ट्विटर पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कोई इसके लिए ट्रंप सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है। ट्विटर पर कई लोगों ने लिखा, ट्रंप सरकार के आने के बाद ये हुआ है। ऐसी सरकार किसी काम की नहीं है।
 
कहीं ट्रंप की एच वन बी वीजा की नीति इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। दरअसल, ज्यादातर भारतीयों को ये विजा दिया जाता है। साल 2015 के आंकड़ों के मुताबिक 70 फीसदी भारतीयों को इस साल विजा दिया गया था। पहले आईटी कंपनियों में नौकरी के लिए हर युवा सपने देखते थे लेकिन अब उन्हें डर लगने लगा है।  हालांकि मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि आने वाले तीन साल आईटी में 2 लाख की छंटनी होगी, लेकिन स्थिति उसके बाद सुधरेगी। 

अनुमान लगाया जाता है कि भारत में हर साल 1.5 मिलियन इंजीनियर ग्रेजुएट होते हैं, जिसमें से 5 लाख को ही नौकरी मिलती है बाकी बेरोजगार रहते हैं। ऐसे में नई तकनीक को अपनाने के साथ कंपनियों को आगे सोचना होगा।