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नीतीश कुमार झारखंड में क्यों बीजेपी पर कस रहे हैं तंज, जानें 4 अहम कारण

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को रांची दौरे पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेताओं से कहा कि झारखंड में उनकी पार्टी अकेले चुनावी मैदान में उतर सकती है। बता दें कि झारखंड में बीजेपी सहयोगी...

नीतीश कुमार झारखंड में क्यों बीजेपी पर कस रहे हैं तंज, जानें 4 अहम कारण
कुमार उत्तम, हिटी,नई दिल्लीMon, 09 Sep 2019 11:30 AM
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को रांची दौरे पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेताओं से कहा कि झारखंड में उनकी पार्टी अकेले चुनावी मैदान में उतर सकती है। बता दें कि झारखंड में बीजेपी सहयोगी पार्टी है, जहां रघुवर दास की सरकार है। नीतीश कुमार ने राज्य में ज्यादा समय तक सत्ता में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष किया और कहा कि अविभाजित बिहार से निकले राज्य ने उस तरह से प्रगति नहीं की है, जिस तरह की अपेक्षा थी। उन्होंने बीजेपी सरकार पर यह कहते हुए तंज कसा कि शराबबंदी वाले राज्य बिहार से लोग झारखंड में शराब के लिए आते हैं।

झारखंड में दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के इन बयानों को राज्य में अपनी पार्टी की विस्तार योजनाओं के रूप में देखा जा रहा है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों नीतीश कुमार को झारखंड में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं और बीजेपी पर तंज कस रहे हैं। 

पहला कारण: नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) झारखंड में अपना खोया हुआ गौरव हासिल करना चाहती है। साल 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जद (यू) ने 4 फीसदी वोट हासिल किए थे और 6 विधानसभा सीटें जीती थीं। साल 2009 में जदयू की दो सीटें कम हो गईं और वोट फीसदी में गिरावट होकर 2.8 फीसदी ही रह गई। वहीं 2014 में नीतीश की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी और वोट फीसदी महज 1 फीसदी पर आ पहुंचा। 

दूसरा कारण: झारखंड कभी अविभाजित बिहार का हिस्सा था और जदयू का ऐसा मानना है कि राज्य में ब्रांड नीतीश काफी अहम है। पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पहले ही पार्टी कैडर से कह दिया है कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को भविष्य के चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में ट्रीट करें। 

तीसरा कारण: अन्य पिछड़े वर्ग की बड़ी आबादी को देखते हुए जदयू का मानना है कि नीतीश कुमार की ओबीसी साख इन समुदायों का बहुत समर्थन हासिल कर सकती है। झारखंड में ओबीसी भाजपा के पारंपरिक समर्थक रहे हैं और ऐसे में जदयू इस अवसर को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश में है।

चौथा चरण: सही से राजनीतिक हलचल को देखा जाए तो जदयू चाहेगा कि भाजपा झारखंड में भी इसके लिए कुछ सीटें छोड़ दे। लेकिन भाजपा राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से 65 पर जीत हासिल करने के मिशन पर चल रही है। इसके लिए उसे ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। पूर्व मंत्री सुदेश महतो के नेतृत्व वाले स्थानीय संगठन ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के साथ भाजपा का पहले से ही गठबंधन है। इसने नीतीश कुमार के लिए झारखंड के लिए राजग में जगह कम कर दी है। वहीं, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी यहां एक-दो सीटें मांग रही है।

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