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INS Kalavari VIDEO : जानिए क्यों दुश्मन पर भारी पड़ेगी भारतीय नौसेना की नई 'शार्क'

पिछले 17 वर्षों में यह पहली परंपरागत पनडुब्बी है जिसे नौसेना में शामिल किया जा रहा है। दिलचस्प बात है कि भारत की पहली पनडुब्बी का नाम भी...

Richaलाइव हिन्दुस्तान टीम। ,मुंबई Thu, 14 Dec 2017 02:17 PM

पीएम मोदी ने दी बधाई

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गुरुवार को मुंबई स्थित वेस्टर्न नेवी कमांड में स्कॉर्पियन क्लास की पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को इंडियन नेवी में शामिल किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में मौजूद रहे और उन्होंने कहा कि आज सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए बहुत गौरव का दिन है। वह सभी देशवासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई देते हैं। अाईएनएस कलवरी हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की रक्षा क्षमताओं को कई गुना तक बढ़ाने वाली है। विशेषज्ञों की मानें तो यह पनडुब्बी न केवल नौसेना की ताकत को एक अलग सिरे से परिभाषित करेगी बल्कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए भी एक मील का पत्थर मानी जा रही है। 

पहली पनडुब्बी का नाम भी था कलवरी
कलवरी का नाम हिद महासागर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया है। पिछले 17 वर्षों में यह पहली परंपरागत पनडुब्बी है जिसे नौसेना में शामिल किया जा रहा है। दिलचस्प बात है कि भारत की पहली पनडुब्बी का नाम भी आईएनएस कलवरी था। आठ दिसंबर 1967 को पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी नौसेना में शामिल हुई थी। इस पनडुब्बी को 31 मई 1996 को रिटायर कर दिया गया था।

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साल 2020 तक मिलेंगी और पनडुब्बियां 

साल 2020 तक मिलेंगी और पनडुब्बियां 2 / 3

स्कॉर्पियन क्लास की एक और  पनडुब्बी आईएनएस खंदेरी को जनवरी 2017 में नौसेना में शामिल किया जा चुका है। खंदेरी के सी-ट्रायल जारी हैं और मार्च 2018 तक इसे नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। बाकी चार पनडुब्बियों को साल 2020 तक नौसेना को सौंप दिया जाएगा। आईएनएस कलवरी को प्रोजेक्ट 75 के तहत मुंबई के मंझगांव डॉकयॉर्ड में तैयार किया गया। इस प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना को फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के साथ मिलकर छह पनडुब्बियों को तैयार करने की ताकत मिली। इस प्रोजेक्ट की कीमत करीब 350 करोड़ रुपए थी। इस प्रोजेक्ट में पहली पनडुब्बी का निर्माण 23 मई साल 2009 में शुरू हुआ था। 

सेकेंड्स में तबाह कर सकती है दुश्मन को 

सेकेंड्स में तबाह कर सकती है दुश्मन को 3 / 3

आईएनएस कलवरी 18 टॉरपीडो ले जा सकने में सक्षम है और यह पानी के अंदर 1,020 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। 66 मीटर लंबी यह पनडुब्बी 300 मीटर से भी ज्यादा गहराई में रह सकती है और इस पर भी दुश्मन के लिए इसे डिटेक्ट कर पाना काफी मुश्किल होगा। आईएनएस कलवरी इस तरह के हथियारों को ले जा सकने में सक्षम है जिन्हें समंदर में ही आसानी से रीलोड किया जा सकता है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह हर प्रकार के युद्ध में अपने मिशन को अंजाम दे सकती है। कलवरी, समंदर की सतह पर मौजूद किसी भी जहाज पर हमला कर सकती है, किसी भी पनडुब्बी को तबाह कर सकती है और इंटेलीजेंस इकट्ठा करने में भी सक्षम है।