हरियाणा में क्यों बदल रही है सरकार, 45 मिनट की एक मीटिंग ने सब तय किया; कैसे तेवर में आई भाजपा
भाजपा और जेजेपी के इस अलगाव की कहानी में 45 मिनट की एक मीटिंग का अहम रोल है। सोमवार को ही दुष्यंत चौटाला ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की थी। इस दौरान चौटाला ने 2 सीटें मांगी थीं।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले सरकार बदल रही है। अब भाजपा अकेले ही निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार बनाने की प्लानिंग में है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भाजपा और निर्दलीय विधायकों की मीटिंग की। फिर राजभवन जाकर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। खबर है कि अब बिना जननायक जनता पार्टी के ही सरकार का नए सिरे से गठन होगा। नई सरकार में मनोहर लाल खट्टर ही सीएम रहेंगे या नहीं, इसे लेकर अब तक संशय बरकरार है। लेकिन इतना तय है कि जेजेपी और बीजेपी के बीच अब तालमेल खत्म हो गया है।
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसे जादुई आंकड़े के लिए 46 विधायकों की जरूरत है। सूबे में कुल 7 निर्दलीय विधायक हैं। इन लोगों ने भाजपा सरकार को समर्थन देने की बात कही है। ऐसा हुआ तो भाजपा बिना जेजेपी के ही सरकार बना लेगी। दरअसल भाजपा और जेजेपी के इस अलगाव की कहानी में 45 मिनट की एक मीटिंग का अहम रोल है। सोमवार को ही दुष्यंत चौटाला ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की थी। इस मीटिंग में उन्होंने मांग की थी कि जेजेपी को भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार की लोकसभा सीटें दे दी जाएं।
हिसार से हाल ही में चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे ने भाजपा छोड़ दी है। हालांकि इस मीटिंग में जेपी नड्डा ने एक भी सीट छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने चौटाला से साफ कहा कि हम आपसे अलग होकर भी सारी 10 सीटों पर जीत हासिल कर लेंगे। नड्डा से दोटूक जवाब मिलने के बाद दुष्यंत चौटाला ने अमित शाह से मुलाकात की कोशिश की थी। लेकिन उनके ऑफिस से कोई जवाब नहीं मिल सका। इसके बाद सोमवार की सुबह अलग ही कहानी सामने आई। भाजपा हाईकमान से हरी झंडी मिलने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने विधायकों की मीटिंग बुलाई। फिर निर्दलीय विधायकों से भी समर्थन पत्र लेकर राजभवन जाकर इस्तीफा दे दिया।
जाट वोटरों पर क्या है भाजपा की रणनीति, जिसकी हुड्डा भी चर्चा कर रहे
अब खबर है कि आज शाम को ही हरियाणा में नई सरकार शपथ ले लेगी। इस नई सरकार में कई नए मंत्री होंगे और कुछ निर्दलियों को भी मौका मिल सकता है। अब बात उस रणनीति की, जिसके तहत भाजपा ने यह पूरा खेला किया है। हरियाणा की राजनीति को समझने वाले मानते हैं कि गठजोड़ खत्म करना भाजपा की रणनीति है। दरअसल जेजेपी को जाट वोटरों की पार्टी माना जाता है। इसके अलावा जाटों का वोट इनेलो और कांग्रेस को भी मिलता है। ऐसे में भाजपा की रणनीति है कि जेजेपी को भी अलग कर दिया जाए तो जाट वोट बंट जाएंगे। इस तरह जाट वोटर जब 4 हिस्से में होंगे तो गैर-जाट मतदाताओं के सहारे भाजपा फिर से सत्ता हासिल कर सकेगी। इसका फायदा लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव दोनों में मिल सकेगा। इस बात की चर्चा कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी की है। उन्होंने कहा कि यह वोट काटने की रणनीति है।