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दुनियाभर में कब आसानी से मिलने लगेंगी कोरोना की वैक्सीन? जानिए विशेषज्ञों ने क्या कहा

भारत समेत दुनिया के अधिकतर हिस्से में कोरोना वायरस की तबाही देखने को मिल रही है। हालांकि, यह बात भी सच है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर सबसे अधिक प्रभावित कर रही है। इन सबके बीच भारत समेत कई देशों...

Pramila Shah, 82, receives the second dose of COVISHIELD, a coronavirus disease (COVID-19) vaccine manufactured by Serum Institute of India, as Hansa Pandhi, 76, waits for her turn at a vaccination centre in Mumbai, India, April 28, 2021. Picture taken April 28, 2021. REUTERS
1/ 2Pramila Shah, 82, receives the second dose of COVISHIELD, a coronavirus disease (COVID-19) vaccine manufactured by Serum Institute of India, as Hansa Pandhi, 76, waits for her turn at a vaccination centre in Mumbai, India, April 28, 2021. Picture taken April 28, 2021. REUTERS
Covishield Vaccine in India
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एपी,नई दिल्लीFri, 14 May 2021 06:38 AM
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भारत समेत दुनिया के अधिकतर हिस्से में कोरोना वायरस की तबाही देखने को मिल रही है। हालांकि, यह बात भी सच है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर सबसे अधिक प्रभावित कर रही है। इन सबके बीच भारत समेत कई देशों में कोरोना को हराने के लिए टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि, कोरोना से जंग के खिलाफ टीकाकरण की रफ्तार अब भी धीमी है और आसानी से सबके लिए उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कोविड-19 रोधी टीके दुनिया में आसानी से कब उपलब्ध होंगे? इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि 2023 या उसके बाद कुछ देशों में टीके आसानी से उपलब्ध होंगे।

अमेरिका, इजराइल और ब्रिटेन उन देशों में शामिल हैं, जिसने अपनी आधी या इससे ज्यादा आबादी को कम से कम एक खुराक मुहैया करा दी है। दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और वेनेजुएला जैसे कुछ देशों में एक प्रतिशत से भी कम आबादी का टीकाकरण हुआ है। वहीं, अफ्रीका में 12 देशों को टीके की खुराक नहीं मिली है। बता दें कि भारत में अब तक 18 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लग चुकी है।

टीके की उपलब्धता कई पहलुओं पर निर्भर करती है। इसमें खरीदारी क्षमता, देश में टीका निर्माण की क्षमता, कच्चे माल तक पहुंच और वैश्विक बौद्धिक संपदा कानून शामिल हैं। अमेरिका ने टीके पर पेटेंट छोड़ने का समर्थन किया है। लेकिन, यह स्पष्ट नहीं है कि इस मुद्दे पर दुनिया के देशों में कब सहमति बन पाएगी और ऐसा होता है तो टीका निर्माण को कब गति मिलेगी।

वैश्विक स्तर पर टीके मुहैया कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र की कोवैक्स पहल पर भी कुछ देशों में निर्यात पर पाबंदी लगाए जाने के कारण गहरा असर पड़ा है। ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अप्रैल में कहा कि 'कोवैक्स पहल के बावजूद कई देश 2023 या उसके बाद भी 60 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण नहीं कर पाएंगे। जार्जटाउन विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ मैथ्यू कवनाघ ने कहा कि अमेरिका, यूरोप और दुनिया के अमीर देशों ने सभी उपलब्ध खुराकों का पहले ही ऑर्डर दे दिया था और अब कई देश जिनके पास धन है, वे भी टीके खरीदने के लिए इंतजार कर रहे हैं। 

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