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ज्यादा कोरोना मरीज बनाकर संभल सकते हैं देश के हालात? हर्ड इम्यूनिटी पर हो रही चर्चा

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया की बड़ी आबादी इन दिनों अपने-अपने घरों में 'कैद' है। भारत में भी तीन मई तक लॉकडाउन लागू है। इस दौरान सिर्फ आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों को बाहर निकलने की...

ज्यादा कोरोना मरीज बनाकर संभल सकते हैं देश के हालात? हर्ड इम्यूनिटी पर हो रही चर्चा
लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 24 Apr 2020 11:48 AM
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कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया की बड़ी आबादी इन दिनों अपने-अपने घरों में 'कैद' है। भारत में भी तीन मई तक लॉकडाउन लागू है। इस दौरान सिर्फ आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों को बाहर निकलने की इजाजत है। लॉकडाउन की वजह से इकॉनमी पूरी तरह से ठप पड़ गई है, जिसका असर आम लोगों पर पड़ने लगा है। कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस को पूरी तरह से वैक्सीन बनने के बाद ही खत्म किया जा सकेगा। लेकिन वैक्सीन के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी वैक्सीन बनने में एक से डेढ़ साल का समय और लग सकता है। ऐसे में अब लोगों के सामने एक नया टर्म सामने आ रहा है। यह है- हर्ड इम्यूनिटी।

हर्ड इम्यूनिटी के जरिए से जानकारों का कहना है कि जब दुनिया की बड़ी आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाएगी, तब उसमें प्रतिरोधक क्षमता भी पैदा हो जाएगी। इसके बाद कोरोना वायरस का लोगों पर अधिक असर नहीं होगा।

कई डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि वायरस के संक्रमण को फैलने दें तो लोगों की इम्यूनिटी जल्द इससे लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर लेगी। हालांकि, इससे खतरे भी कम नहीं है। ज्यादा लोगों के वायरस की चपेट में आने की वजह से देश के अस्पतालों पर असर पड़ेगा। यह भी देखने की बात होगी कि अगर ज्यादा लोग बीमार होते हैं तो उनके इलाज के लिए कितने अस्पताल उपलब्ध होंगे? ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों की मौत भी वायरस की वजह से हो सकती है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसी वजह से ज्यादा जानकार लॉकडाउन की तरफदारी कर रहे हैं।

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वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में संक्रमण रोग महामारी विशेषज्ञ डॉ. मारिया वान केरखोव कहती हैं कि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि जो लोग कोरोना वायरस के संपर्क में आए हैं, उनमें पूरी तरह से इसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सकी है या नहीं और अगर होती है तो फिर कब तक? इसलिए सरकारों को वैक्सीन का इंतजार करना चाहिए।

यूके ने शुरुआती समय में इसका समर्थन किया था लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे मामले बढ़े वहां के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने लॉकडाउन लागू कर दिया। उन्होंने लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया।

भारत में काम कर सकती है हर्ड इम्यूनिटी की तकनीक?

इस बीच प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) के शोधकर्ताओं का कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी की तकनीक भारत में कोरोना से लड़ने के लिए कारगर साबित हो सकती है। वाइस डॉट कॉम के अनुसार, शोधकर्ता कह रहे हैं कि यह रणनीति वास्तव में भारत जैसे देश में काम कर सकती है क्योंकि भारत की आबादी में युवाओं की संख्या अधिक है, जिससे उनके अस्पतालों के भर्ती होने का खतरा काफी कम होगा।

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'लॉकडाउन का बोझ नहीं उठा सकता कोई देश'

एक्सपर्ट जयप्रकाश मुलियाल ब्लूमबर्ग से कहते हैं कि कोई भी देश लंबे समय तक लॉकडाउन का बोझ नहीं उठा सकता है। कम से कम भारत जैसा देश तो बिल्कुल नहीं। आप वास्तव में बुजुर्गों में संक्रमण को फैलने से रोकते हुए हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंच सकते हैं। वहीं, जब हर्ड इम्यूनिटी पर्याप्त संख्या तक पहुंच जाएगी तब यह वायरस अपने-आप थम जाएगा। इससे बुजुर्ग भी सुरक्षित हो सकेंगे।

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