राम मंदिर भूमि पूजन के बाद मोदी का जय सियाराम से भाषण शुरू करने का क्या अर्थ है?
राम-राम और जय सियाराम भारत में अभिवादन के आम संबोधनों में शामिल रहे हैं, लेकिन राम मंदिर आंदोलन के जोर पकड़ने के साथ इनका लोप हो गया था। इसकी जगह कई लोग जय श्रीराम बोलने लगे थे, लेकिन...
राम-राम और जय सियाराम भारत में अभिवादन के आम संबोधनों में शामिल रहे हैं, लेकिन राम मंदिर आंदोलन के जोर पकड़ने के साथ इनका लोप हो गया था। इसकी जगह कई लोग जय श्रीराम बोलने लगे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के बाद जब जय सियाराम बोला तो यह अनायास नहीं था। इसके पीछे सोची-समझी रणनीति रही होगी, क्योंकि इससे पहले तक चुनावी सभाओं में वह भी जय श्रीराम के ही नारे लगाते और लगवाते रहे हैं।
सियावर रामचंद्र से भाषण की शुरुआत
पीएम मोदी ने भूमि पूजन के बाद ऐतिहासिक मौके पर देशवासियों को संबोधित करते हुए इसकी शुरुआत सिया रामचंद्र की जय से की। उन्होंने इस मौके पर कहा कि आज ये जय घोष सिर्फ सियाराम की नगरी में नहीं सुनाई दे रहा, बल्कि इसकी गूंज पूरे विश्वभर में सुनाई दे रही है। सभी देशवासियों और राम भक्तों को कोटि-कोटि बधाई। ये मेरा सौभाग्य है कि राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया और इस पल का साक्षी बनने का अवसर दिया। राम मंदिर पूजन के लिए कई सदियों तक कई पीढ़ियों ने एकनिष्ठ प्रयास किया। आज का दिन उसी तप और त्याग और संकल्प का प्रतीक है।
इतिहास रचा ही नहीं दोहराया जा रहा
उन्होने आगे कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए जिस मर्यादा का पालन किया जाना चाहिए वैसा ही आज किया जा रहा है। आज भी हम हर तरफ कोरोना वायरस के दौरान अपनाई गई मर्यादा को देख रहे हैं। इतिहास सिर्फ रचा नहीं जा रहा, बल्कि इतिहास दोहराया भी जा रहा है। जिस तरह केवट, वानरों को राम के ध्येय को पूरा करने का सौभाग्य मिला उसी तरह आज करोड़ों लोगों को ये सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
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क्या है सियावर रामचंद्र कहने के मायने
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की शुरुआत में श्रीराम की जगह पहली बार जय सियाराम सुने जाने के बाद राजनीतिक विश्लेषक शिवाजी सरकार इसके खास मायने बता रहे हैं। शिवाजी सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री ने इस बार सियाराम की बात की है, जय श्रीराम से अलग हटकर बात की जा रही है जो सामान्य जनमानस की बात होती थी। उन्होंने कहा कि खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के जनमानस में लोग सियाराम ही कहा करते थे।
उनका कहना है कि राजनीतिक रूप से भी और सामाजिक तौर पर भी एक नया प्रयास लोगों तक पहुंचने के लिए हो रहा है। बीजेपी और उनके जुड़े जितने लोग है उन सभी की व्यापक रूप से जोड़ने की जरुरत है, उस प्रयास की एक नई शुरुआत की जा रही है।
शिवाजी सरकार आगे कहते हैं कि जो लोग वर्तमान में इस कुनबे से पूरी तरह नहीं जुड़े हैं उनके साथ जुड़ने का ऐसा प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में आज भी कहीं भी चले जाएं तो राम-राम या जय सियाराम ही कहा जाता है।
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