राफेल डील: सरकार ने फिर कहा- रिलायंस के चयन में हमारी भूमिका नहीं
केंद्र सरकार ने शनिवार को एक बार फिर कहा कि राफेल सौदे के लिए रिलायंस डिफेंस का चयन करने में हमारी कोई भूमिका नहीं थी। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने शुक्रवार को दावा किया था कि राफेल...
केंद्र सरकार ने शनिवार को एक बार फिर कहा कि राफेल सौदे के लिए रिलायंस डिफेंस का चयन करने में हमारी कोई भूमिका नहीं थी। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने शुक्रवार को दावा किया था कि राफेल करार में दसाल्ट एविएशन के लिए साझेदार के तौर पर रिलायंस डिफेंस का नाम भारत सरकार की ओर से प्रस्तावित किया गया था।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ओलांद के कथित बयान के संबंध में मीडिया की खबर को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने इससे पहले भी कहा था और एक बार फिर दोहरा रही है कि ऑफसेट साझेदार के तौर पर रिलायंस डिफेंस के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
फ्रांसीसी प्रकाशन मीडियापार्ट में ओलांद के हवाले से कहा गया था कि 58,000 करोड़ रुपए के राफेल करार में दसाल्ट एविएशन के लिए साझेदार के तौर पर रिलायंस डिफेंस का नाम भारत सरकार की ओर से प्रस्तावित किया गया था और फ्रांस के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था।
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दसाल्ट एविएशन ने समझौते के ऑफसेट दायित्वों को पूरा करने के लिए रिलायंस डिफेंस लिमिटेड (आरडीएल) को भारतीय साझेदार के रूप में चुना था और दोनों कंपनियां एयरोस्पेस उपकरणों के निर्माण के लिए संयुक्त उद्यम की स्थापना की पहले ही घोषणा कर चुकी हैं। खबर में कहा गया है कि राफेल समझौता किए जाने से पहले अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने एक फिल्म निर्माण के लिए ओलांद की करीबी जूली गायेत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अप्रैल 2015 में जब 36 राफेल विमानों की खरीद की घोषणा की गई थी तो उस समय ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति थे।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि संयोग से फरवरी, 2012 की मीडिया खबरों से पता चलता है कि पिछली सरकार द्वारा 126 विमानों की खरीद के लिए सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी घोषित होने के दो सप्ताह के भीतर दसाल्ट एविएशन ने रक्षा क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी के लिए एक समझौता किया था। पिछली यूपीए सरकार 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए दसाल्ट एविएशन के साथ बातचीत कर रही थी, जिसके अंतर्गत 18 तैयार विमानों की आपूर्ति होनी थी और 108 विमानों का निर्माण फ्रांसीसी कंपनी को एचएएल के साथ मिलकर भारत में करना था। हालांकि यूपीए सरकार यह समझौता नहीं कर सकी थी।
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रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि आरडीएल और दसाल्ट एविएशन के बीच संयुक्त उद्यम दो कंपनियों के बीच पूरी तरह से एक वाणिज्यिक समझौता है। यह संयुक्त उद्यम फरवरी, 2017 में अस्तित्व में आया था।
मंत्रालय ने दसाल्ट एविएशन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का भी उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि कंपनी ने कई कंपनियों के साथ साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और सौ अन्य कंपनियों के साथ बातचीत की जा रही है।