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थाईलैंड में भी हुई थी उत्तरकाशी के सिलक्यारा वाली घटना, तब गुफा में फंसे मासूम बच्चों की ऐसे बची थी जान

10 दिन से उत्तरकाशी के सिलक्यारा स्थित टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का काम अभी भी जारी है। 2018 में 12 से 16 वर्ष की उम्र वाले फुटबॉल प्लेयर अपने कोच के साथ थाईलैंड में एक गुफा में फंस गए थे।

थाईलैंड में भी हुई थी उत्तरकाशी के सिलक्यारा वाली घटना, तब गुफा में फंसे मासूम बच्चों की ऐसे बची थी जान
Gaurav Kalaलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 21 Nov 2023 10:27 AM
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10 दिन से उत्तरकाशी के सिलक्यारा स्थित टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का काम अभी भी जारी है। यह घटना अब देश ही नहीं विदेश में भी सुर्खियां बटोर रही है। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कई विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। 10 दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मंगलवार को टनल में फंसे मजदूरों का पहला वीडियो सामने आया। इस बात की पुष्टि हो गई है कि सभी मजदूर पूरी तरह से सुरक्षित हैं। राहत भरे इस वीडियो ने रेस्क्यू कर रही टीम के हौसले बढ़ा लिए हैं। वे तेजी से मजदूरों को बाहर निकालने में जुट गए हैं। इससे पहले सोमवार को पहली बार फंसे मजदूरों को खाने के लिए लिक्विड डाइट के रूप में खिचड़ी भेजी गई। इसके अलावा पाइप से ऑक्सीजन और पानी भी सप्लाई किया जा रहा है। मजदूरों से बात करने के लिए वॉकी-टॉकी भी भेजे गए हैं। उत्तरकाशी के सिलक्यारा में हुई यह घटना 2018 में घटी थाईलैंड की घटना से काफी मेल खाती है, जब 12 बच्चों की फुटबॉल टीम अपने कोच के साथ एक गुफा में फंस गए थे। तब 18 दिनों तक चले रेस्क्यू अभियान में उनकी जान बचाई जा सकी थी। तब और अब की परिस्थितियां काफी मेल खाती हैं।

घटना 23 जून 2018 की है। थाईलैंड का एक छोटा सा कस्बा 'मे साई' अचानक से तब दुनिया की नजर में आ गया जब 12 से 16 वर्ष की उम्र वाले फुटबॉल प्लेयर अपने कोच के साथ चार किलोमीटर लंबी गुफा 'थाम लुआंग नांग नॉन' में फंस गए थे। रिपोर्ट में कहा जाता है कि टीम अपने कोच के साथ प्रैक्टिस के लिए गुफा में गई थी। अचानक उस वक्त तेज बारिश आ गई और वे सभी गुफा में ही फंस गए। गुफा के अंदर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और बाहर से पत्थरों की बरसात के कारण गुफा का मुख्य दरवाजा बंद हो गया। यह एक मेन मेड गुफा था।

कैसे पता लगा
जूनियर फुटबॉल टीम के खिलाड़ी अपने कोच के साथ थाईलैंड की 'थाम लुआंग नांग नॉन' गुफा में फंस गए थे। बच्चों के घरवालों को पता था कि वे अक्सर प्रैक्टिस के लिए गुफा में जाते हैं। जब उन्होंने यह पता करने की कोशिश की तो मालूम हुआ कि सभी बच्चे गुफा में फंस गए हैं तो हड़कंप मच गया। बात अधिकारियों तक पहुंची। तब हर किसी को लग रहा था कि वे जिंदा नहीं बचे होंगे। लेकिन एक सप्ताह तक चले अभियान के बाद जब मालूम हुआ कि सभी बच्चे सुरक्षित हैं तो उन्हें निकालने का काम तेजी से शुरू हो गया। देशभर में प्रार्थनाएं शुरू हो गईं।

यहां यह गौर करने वाली बात यह है कि उत्तरकाशी के टनल में फंसे मजूदरों के लिए अच्छी स्थिति यह है कि वहां पानी का जमाव नहीं है। इसलिए इनके जिंदा रहने की संभावना ज्यादा है। 2018 में थाईलैंड में हुए हादसे के दौरान फंसे लोगों के लिए जिंदा बचे रहना काफी मुश्किल था क्योंकि भारी जलभराव के कारण उनके लिए बचे रहना काफी चुनौतीपूर्ण था।

रेस्क्यू ऑपरेशन में खुद ही फंस गई टीम
तब बच्चों को बचाने के लिए गुफा में घुसी रेस्क्यू टीम के तीन सदस्य खुद फंस गए। उनमें से एक को तो सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। एक को घबराहट होने लगी। किसी तरह उन्हें बाहर निकाला गया। 18 दिनों तक चले इस अभियान ने उस वक्त दुनिया में खूब सुर्खियां बटोरी। रेस्क्यू टीम ने सभी विकल्प आजमाए और देश-विदेश के विशेषज्ञों की मदद से सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाला।

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