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2019 लोकसभा चुनाव: RLSP का BJP से गठबंधन पर सस्पेंस बरकरार, उपेंद्र कुशवाहा बोले- याचना नहीं अब रण होगा

रालोसपा (RLSP) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के मोतिहारी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश सरकार और बीजेपी पर जमकर हमला बोला है। हालांकि कुशवाहा ने यह साफ नहीं किया है कि वह 2019 लोकसभा चुनाव...

2019 लोकसभा चुनाव: RLSP का BJP से गठबंधन पर सस्पेंस बरकरार, उपेंद्र कुशवाहा बोले- याचना नहीं अब रण होगा
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान Thu, 06 Dec 2018 05:24 PM
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रालोसपा (RLSP) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के मोतिहारी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश सरकार और बीजेपी पर जमकर हमला बोला है। हालांकि कुशवाहा ने यह साफ नहीं किया है कि वह 2019 लोकसभा चुनाव (2019 Loksabha Election) एनडीए (NDA) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बरकरार है। इस जनसभा में कुशवाहा ने कहा कि याचना नहीं अब रण, संघर्ष बड़ा भीषण होगा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई आरपार की होगी। रालोसपा ने प्रदेश सरकार के खिलाफ रण की घोषणा की है और बीजेपी की प्रदेश ईकाई की आलोचना की है।

उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर पहले बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने की कोशिश की गई लेकिन वह नहीं मिले। इसके बाद हमने फैसला किया कि अब प्रधानमंत्री से मिलेंगे और उनसे मिलने के लिए समय मांगा गया लेकिन चार से पांच दिन बीत गए लेकिन कोई बात नहीं बनी। इसके बाद हमें बर्बाद और तोड़ने की कोशिश की गई। लालच देकर हमारे विधायकों को अपने पास बुलाने की काशिश की गई और इसके लिए सत्ता के हथियार का इस्तेमाल किया गया।

उपेंद्र कुशवाहा ने जनसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा। कुशवाहा ने कहा कि हर मामले में राज्य सरकार फेल है और अब बिहार में सुशासन नहीं है। उन्होंने कहा कि 15 साल यहां एक ही सरकार है और अब बिहार में बदलाव की जरूरत है। इसलिए हम बिहार की निकम्मी सरकार है उसको उखाड़कर फेंकने का काम करेंगे। मैंने सोचा था कि दिल्ली में बैठे हुए लोग सोचेंगे लेकिन उन्होंने निराश किया और बीजेपी की बिहार ईकाई ने नीतीश के आगे नतमस्तक हो गई है।

लोकसभा का चुनाव है हमें चर्चा करनी चाहिए गरीबी दूर की, बेरोजगारी दूरी की इस लिए चुनाव से पहले मंदिर का मुद्दा उठाया है। मंदिर बनाना था तो उसका दूसरा तरीका था और रालोसपा मंदिर या मजिस्द के खिलाफ नहीं है। मंदिर बनाना राजनीतिक दल का काम नहीं है। 

इस इस जनतंत्र की ताकत है कि चाय बेचने वाला भी बैठ सकता है और अखबार बेचकर अपने परिवार का जीवनयापन करता है वह राष्ट्रपित बन सकता है। लेकिन दलित का बच्चा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं बन सकता है। 

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