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भाजपा के राम के मुकाबले परशुराम का फरसा क्यों उठा रहे अखिलेश यादव, क्या है रणनीति

उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आते ही जातिगत और धार्मिक आधार पर राजनीतिक समीकरणों के लिए बिसात बिछनी तेज हो गई है। लेकिन इस बार यूपी चुनाव में राजनीतिक समीकरण बेहद दिलचस्प हो गए हैं। अब तक ओबीसी वर्गों...

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान , नई दिल्लीTue, 4 Jan 2022 01:08 PM
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भाजपा के राम के मुकाबले परशुराम का फरसा क्यों उठा रहे अखिलेश यादव, क्या है रणनीति

उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आते ही जातिगत और धार्मिक आधार पर राजनीतिक समीकरणों के लिए बिसात बिछनी तेज हो गई है। लेकिन इस बार यूपी चुनाव में राजनीतिक समीकरण बेहद दिलचस्प हो गए हैं। अब तक ओबीसी वर्गों की राजनीति करने वाले अखिलेश यादव इस बार परशुराम के मंदिर का अनावरण करते दिख रहे हैं। रविवार को लखनऊ के गोसाईंगंज में उन्होंने भगवान परशुराम के मंदिर और उनके फरसे का अनावरण किया। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान परशुराम की पूजा की और आशीर्वाद लेकर चुनावी बिगुल फूंका। 

यही नहीं इस दौरान अखिलेश यादव एक हाथ में परशुराम का फरसा लिए दिखे तो दूसरे हाथ में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी लिया। यूपी की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि अखिलेश यादव ने फरसा और चक्र के जरिए जातिगत राजनीति को साधने का प्रयास किया है। दरअसल अखिलेश यादव पहले भी कई बार खुद को कृष्ण का वंशज बताते हुए उनका मंदिर बनाने की बात कह चुके हैं। इटावा के अपने गांव सैफई में भगवान कृष्ण की प्रतिमा का भी उन्होंने अनावरण किया था। दरअसल भगवान कृष्ण का जिक्र कर वह अकसर यादव बिरादरी को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं।

परशुराम के फरसे और कृष्ण के सुदर्शन चक्र से क्या संदेश

अब अखिलेश यादव ने परशुराम मंदिर और फरसे के जरिए ब्राह्मण बिरादरी को संदेश देने का प्रयास किया है। दरअसल उत्तर प्रदेश में एक नैरेटिव यह भी चलाया जा रहा है कि ब्राह्मण समुदाय के लोग भाजपा की वर्तमान सरकार से नाराज हैं। ऐसे में अखिलेश यादव इस वर्ग को लुभाने की कोशिश करते हुए दिखते हैं। अलग-अलग आंकड़ों में ब्राह्मण समाज की आबादी 9 से 12 फीसदी तक बताई जाती रही है, जो सवर्णों में सबसे ज्यादा संख्या है। ऐसे में सपा इस अहम वर्ग को साधने की कोशिश में है। दरअसल 2007 में मायावती की सोशल इंजीनियरिंग, 2012 में अखिलेश यादव को मिली सफलता और फिर 2017 में भाजपा के पूर्ण बहुमत में आने के पीछे ब्राह्मण समुदाय की अहम भूमिका बताई जाती रही है।

akhilesh yadav  parashuram temple

ब्राह्मणों के जरिए यादव-मुस्लिम पार्टी का टैग हटाने की भी कोशिश

यही वजह है कि अखिलेश यादव अगड़े वर्ग की इस बिरादरी पर दांव चलना चाहते हैं। यही नहीं ब्राह्मणों को जोड़ने के बहाने वह यह संदेश भी देना चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी महज यादव और मुस्लिम वर्ग की ही पार्टी नहीं है। ब्राह्मण समुदाय के माध्यम से अखिलेश यादव पूरे हिंदू समाज को एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि उनकी इस कोशिश में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र और परशुराम का फरसा कितना फिट बैठते हैं, यह चुनाव के नतीजों से ही पता चलेगा।