स्वास्थ्य मंत्रालय की जेब ढीली, सरकार से मांगे और 15 हजार करोड़ रुपए
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संशोधित बजट में वित्त मंत्रालय से 15 हजार करोड़ रुपयों की मांग की है। यह राशि बजट में मंत्रालय को मिली राशि का तकरीबन एक चौथाई है। मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो 75 नए...
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संशोधित बजट में वित्त मंत्रालय से 15 हजार करोड़ रुपयों की मांग की है। यह राशि बजट में मंत्रालय को मिली राशि का तकरीबन एक चौथाई है। मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो 75 नए मेडिकल कॉलेज और प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) पर खर्च ने मंत्रालय का बजट बढ़ा दिया है। ये आलम तब है, जब नए एम्स के लिए मंत्रालय हीफा से कर्ज ले रहा है।
इस साल बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय को 64,559 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। मंत्रालय ने अब 80 हजार करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान जताया है। इसे पूरा करने के लिए वित्त मंत्रालय से संशोधित बजट में 15 हजार करोड़ रुपए की मांग की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि अगर सरकार वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को जीडीपी का 2.5 फीसदी करना चाहती है तो केंद्र सरकार के स्वास्थ्य बजट को डेढ़ लाख करोड़ से पौने दो लाख करोड़ के बीच करना होगा। जबकि अब भी हमारा बजट मात्र 64 हजार करोड़ है। इसमें भी हम दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना चला रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि संशोधित बजट में हमें राशि मिल गई तो ठीक है, अन्यथा हमें कई योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी। इससे भी कहीं न कहीं नुकसान ही होगा। सूत्रों ने कहा कि यह राशि नहीं मिली तो पीएमजेएवाई के भुगतान में देरी तथा नए मेडिकल कालेजों की स्थापना में विलंब हो सकता है। कई अन्य छोटी मदों में मंत्रालय का हाथ तंग हो सकता है।
हालात
* इस साल मंत्रालय को 64,559 करोड़ आवंटित हुए थे।
* मंत्रालय ने अब 80 हजार करोड़ के खर्च का अनुमान जताया है।