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अंतरिम की तुलना में एक हजार करोड़ बढ़ा शिक्षा बजट, उच्च शिक्षा के आवंटन में 856 करोड़ रुपए का इजाफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी नई सरकार का पहला बजट शिक्षा के मामले में कमोबेश अंतरिम बजट जैसा ही रहा। हालांकि कुल आवंटन अंतिरम बजट की तुलना में 1006 करोड़ रुपये अधिक रहा। इसमें से 856...

अंतरिम की तुलना में एक हजार करोड़ बढ़ा शिक्षा बजट, उच्च शिक्षा के आवंटन में 856 करोड़ रुपए का इजाफा
स्कन्द विवेक धर,नई दिल्लीSat, 06 Jul 2019 03:43 AM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी नई सरकार का पहला बजट शिक्षा के मामले में कमोबेश अंतरिम बजट जैसा ही रहा। हालांकि कुल आवंटन अंतिरम बजट की तुलना में 1006 करोड़ रुपये अधिक रहा। इसमें से 856 करोड़ रुपये का इजाफा उच्च शिक्षा में, जबकि 150 करोड़ रुपये का इजाफा स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में देखा गया। शिक्षा के लिए कुल आवंटन 94,853.64 हजार करोड़ रहा, जो पिछले साल 85,010 हजार करोड़ रुपये था। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दुनिया में श्रमिकों की जरूरत को पूरा करने के लिए भारतीय छात्रों के कौशल विकास का भी जिक्र किया।

स्कूली शिक्षा बजट को इस साल 56,536.63 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल 50 हजार करोड़ रुपये था। वहीं, अंतरिम बजट में यह 56,386.63 रुपये रखा गया था। स्कूल शिक्षा में हुई 150 करोड़ की यह बढ़ोतरी अकेले केंद्रीय विद्यालय संगठन के बजट में की गई है। केंद्रीय विद्यालय संगठन को अंतरिम बजट में 4862 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जिसे बढ़ाकर अब 5012 करोड़ रुपये कर दिया गया है। पिछले साल बजट में इसके लिए 4425 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

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स्कूली शिक्षा बजट का आधा से अधिक हिस्सा यानी 36,322 करोड़ रुपये समग्र शिक्षा अभियान के लिए रखा गया है। यह योजना पिछले साल सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, शिक्षक शिक्षण एवं वयस्क शिक्षा कार्यक्रम को मिलाकर बनाई गई थी। वहीं, स्कूल में बच्चों को नि:शुल्क भोजन मुहैया कराने वाली ‘मिड डे मील’ योजना के लिए बजट में 11 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। पिछले साल इस योजना के लिए 10,500 करोड़ दिए गए थे।

उच्च शिक्षा के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 38,317.01 करोड़ रुपये दिए हैं। यह राशि अंतरिम बजट में आवंटित 37461.01 करोड़ रुपये से 856 करोड़ रुपये अधिक है। पिछले साल उच्च शिक्षा के लिए 35,010 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसमें से 6409.95 करोड़ रुपये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटीज) के लिए आवंटित किए गए हैं।

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पिछले साल आईआईटी के लिए 5714 करोड़ रुपये का बजट था। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए 6843 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह पिछले साल के 6445.23 करोड़ रुपये के बजट से मामूली बढ़ोतरी है। अंतरिम बजट में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए 6604.46 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। वहीं, अलग-अलग रिसर्च कार्यक्रमों के लिए सरकार ने 608.87 करोड़ रुपये का, जबकि विश्वस्तरीय संस्थानों के लिए 400 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।  

पहले से चल रही योजना की कर दी घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में भाषण में कहा, देश के तीन उच्च शिक्षा संस्थान दुनिया के शीर्ष-200 संस्थानों में आ गए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मैं एक स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव करती हूं। इसमें विदेशी छात्रों को हमारे संस्थानों में प्रवेश दिया जाएगा। खास बात यह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय पिछले साल ही इस योजना को शुरू कर चुका है। पिछले साल करीब 2 हजार बच्चों को स्टडी इन इंडिया के तहत विभिन्न संस्थानों में एडमिशन मिला था।  

शिक्षा के लिए विजन स्पष्ट नहीं
अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार ने कहा, ''सरकार के इस बजट में शिक्षा के लिए विजन स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। सबसे पहले तो शिक्षा के लिए जो आवंटन हुआ है, वह जरूरत से कहीं ज्यादा कम है। शिक्षा पर बड़ी रकम खर्च किए बिना हम रोजगार सृजित नहीं कर सकते। इस बजट में दूसरे देशों में सेवाएं देने के लिए अपने युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। दुनिया में शायद ही कोई दूसरा देश होगा जो दूसरे देशों में नौकरी कराने के लिए अपने लोगों को प्रशिक्षण देता हो। और जहां तक प्रशिक्षण देने की बात है इसके लिए पहले से ही स्किल इंडिया योजना चल रही है, जो बहुत ज्यादा सफल नहीं हुई है। ऐसे में नए लोगों को कैसे प्रशिक्षण दिया जाएगा। हमारे देश में स्कूली शिक्षा काफी हतोत्साहित है, इसे सुधारने के लिए अब तक कोई विजन सामने पेश नहीं किया गया है। इसके अलावा, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन रिसर्च के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। अभी अलग-अलग रिसर्च का काम अलग-अलग संस्थाएं संभालती हैं। यदि एक ही संस्था सभी तरह के रिसर्च को देखने लगेगी तो हमारे देश में रिसर्च की विविधता ही समाप्त होने का संकट मंडराने लगेगा।"

नई शिक्षा नीति आएगी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार भारत की उच्चतर शिक्षा प्रणाली को विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाएगी। उन्होंने कहा, स्कूली और उच्चतर शिक्षा में बड़े बदलाव करने, शासन को बेहतर बनाने और शोध एवं नवोन्मेष पर जोर देने का नीतिगत प्रस्ताव किया गया है। शोध को बढ़ावा देने और इसमें समन्वय के लिए एक राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन (एनआरएफ) स्थापित किया जाएगा। भारत उच्चतर शिक्षा आयोग (एचईसीआई) के गठन के लिए इस साल एक मसौदा विधेयक पेश किया जाएगा।  

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