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'किसानों के नरसंहार' को ट्रेंड कराने के लिए बैन हुए ट्विटर अकाउंट्स फिर से शुरू

'किसानों के नरसंहार' संबंधित आपत्तिजनक ट्वीट्स किए जाने और हैशटैग चलाए जाने के आरोप में बंद किए गए ट्विटर अकाउंट्स फिर से शुरू कर दिए गए हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने सोमवार...

'किसानों के नरसंहार' को ट्रेंड कराने के लिए बैन हुए ट्विटर अकाउंट्स फिर से शुरू
Madan Tiwariहिन्दुस्तान टाइम्स,नई दिल्लीMon, 01 Feb 2021 09:15 PM
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'किसानों के नरसंहार' संबंधित आपत्तिजनक ट्वीट्स किए जाने और हैशटैग चलाए जाने के आरोप में बंद किए गए ट्विटर अकाउंट्स फिर से शुरू कर दिए गए हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने सोमवार शाम को कड़ा ऐक्शन लेते हुए कई ट्विटर हैंडल्स पर रोक लगा दी थी। इन ट्विटर अकाउंट्स में किसान एकता मोर्चा, हंसराज मीणा, प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर, एक्टर सुशांत आदि शामिल थे।

ट्विटर ने सोमवार रात पौने नौ बजे के आसपास इन ट्विटर अकाउंट्स से रोक हटाई है। इसके साथ ही, इन ट्विटर अकाउंट्स के ट्वीट्स फिर से दिखाई देने लगे।  इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को लगभग 250 ट्वीट्स / ट्विटर अकाउंट्स को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। मंत्रालय का कहना था कि ये अकाउंट्स 30 जनवरी को #ModiPlanningFarmerGenocide हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे थे और फेक, डराने और उत्तेजक ट्वीट्स कर रहे थे।

यह गृह मंत्रालय और कानून से जुड़ी एजेंसियों के अनुरोध पर किया गया था, ताकि कानून और व्यवस्था को खराब होने से रोका जा सके। जनसंहार के लिए उकसाना सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है और इसलिए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69-ए के तहत इन ट्विटर अकाउंट्स और ट्वीट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया था।

अधिकारियों ने हमारे सहयोगी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया था कि प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर को गलती से ब्लॉक किया गया है, क्योंकि उन्होंने ही इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। उन्होंने बताया, ''उनका अकाउंट जल्द ही अन-ब्लॉक कर दिया जाएगा। वे ही थे, जिन्होंने सरकार को हैशटैग के बारे में जानकारी दी थी।''

बता दें कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को लेकर पिछले 70 दिनों से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसानों की मांग कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने आदि की है। इसी दौरान, सोशल साइट्स पर किसान आंदोलन से जुड़े कई ट्वीट्स भी किए जा रहे हैं।

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